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Friday, January 1, 2021

नव वर्ष - 2021 तुम्हारा स्वागत है


नव वर्ष तुम्हारा भव्य स्वागत है। यह वर्ष बहुत सी आशाओं, उमंगों दुआओं और प्रार्थनाओं के साथ शुरू हुआ है। संसार रफ़्तार पकड़ने लगा है। भयभीत चेहरे मुस्काने लगें हैं। पंछी खुले आकाश में चहक रहे हैं, फूल अपनी रंग -बिरंगी छटा लिए महकने लगें हैं। पहाड़ियों पर गिरती रुई के फाहों सी बर्फ से जहां में धवल रुमानियत बिखेरने लगी है। गुलाबी ठण्ड से कायनात चहकने लगी है। 

इस वर्ष सब तरफ मंगल हो, सभी पर समृद्धि और सुकून जी भर के बरसे...दुआ !! आमीन !!

Saturday, December 31, 2016

स्वागत - 2017 ( अलविदा और स्वागत की बंदिश )

तुम जियो आम आदमी की तरह, 
ये दुआ आज तक किसी ने न दी। 

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गयी, 
हम न सोये, रात थक कर सो गयी।
 (राही मासूम रज़ा)

यूँ तो किसी को अलविदा कहना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। इसलिए जाते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी...गुनगुना लेते हैं। कुल मिला कर जाता हुआ वर्ष -2016 खूब उलझने, पशोपेश, जद्दोजहद, शक़, कशमकश, गिले -शिकवे और मौज- मस्ती वाला सतरंगा वर्ष साबित हुआ। तमाम हलचलों के बीच जब आदमी मन बहलाने के साधनों को ईज़ाद करने में लगा रहे और ऊपरवाला अपनी नई बिसातें बिछाने में, तो क्या कीजे। 

इस दौरान देश को गर्म -सर्द होता रहा, मोदी चमकते गरजते रहे, राहुल के तरकश के शिकायती तीर ख़तम ही नहीं हो सके। केजरी भय्या को लगा जंग को विदा करके कमसकम एक जंग तो जीत ली। माया का मायावी संसार भूकंप सा डोलता रहा। जयललिता बिना शिकवे शिकायत के चुपचाप अपने ज़न्नत से ऐशो आराम वाले संसार को यहीं छोड़कर खाली हाथ ही चिर सफर पर चल दीं। तैमूर द्वितीय के आगमन का भव्य नवाबी स्वागत हुआ। कुछ पुरस्कार पाकर भी 'चैन से हमको कभी आपने जीने न दिया' गाते हुए नाखुश ही रहे और कुछ खाली हाथ भी मस्त फ़कीर। 

FAR FROM THE MADDING CROWED की तर्ज़ पर गांव, देश, विदेश घूमने के बाद भी अपने सफर की न शाम आई न ठहराव। बहरहाल सब कुछ हुआ किन्तु जिस लेखन को अति प्रेम और शिद्दत से करती थी बस वही न हो सका, कलम की धार कुंद हो गयी। कुछ लिखा भी तो ऐसा कि बस....कलम चल जाने के बाद अपना कुलेख मैं खुद ही नहीं पढ़ सकती। अब इस बात का मलाल करें या फिर नए साल में कुछ नए शब्दों को हलाल करें सब गडमड है। ऊपरवाले वाले तेरा भी जवाब नहीं। 

जाते जाते हुए वर्ष के साथ - अख़्तर नज़्मी के एक उम्दा शेर का मतला और दुआ.

तुम जियो आम आदमी की तरह, 
ये दुआ आज तक किसी ने न दी। 

खास बनने की चाहत ही बड़े दुःख का कारण है। इसलिए या रब इस आने वाले वर्ष में सभी को खुश रहने की ताब दे। देश के तारनहारों को अमन चैन, प्यार -सौहार्द फैलाने की तहज़ीब दे, सभी को कुछ पल आराम और सुकून के मिले। उनके दिलों को प्यार मिले, क़रार मिले..
शुभकामनाएं, आमीन !


Tuesday, December 30, 2014

बीते हुए लम्हे और - स्वागत 2015


जाने और आने का सिलसिला उम्र भर चलता रहता है..अनवरत। क्या पाया, क्या खोया? क्या सीखा, क्या सिखाया? जीवन का आधा हिस्सा इसी उहापोह में बीत जाता है। बाकी का आधा हिस्सा अपने आप को समझने के लिए कम पड़ जाता है। 

कई बार यूं ही अकेले, सूने पहाड़ी सर्पिलाकार रास्तों पर दूर तक चलते रहने पर अपने आप से रूबरू होने का अवसर मिल जाता है। तब उन सड़कों पर का सूनापन हमारे भीतर तक समाने लगता है। उस सूनेपन और खामोशी को चिड़ियों का कलरव, झींगुरों का आलाप और साथ में मिलती -छिपती नदियों की छलछलाहट बहुत हद तक कम करने पर आमादा रहते है। इनका आकर्षण इतना तीव्र होता है कि हमें विचलित करने लगता है। परन्तु यही वह समय है जब हमें अपने आप को संभाल कर उस विलक्षण खामोशी को अपने भीतर उतारना होता है।  

ये खामोशी अद्भुत होती है। इसे अवश्य ही महसूस करके देखना चाहिए। ये जरूरी नहीं कि हमारे साथ या फिर हमारे इर्द -गिर्द हरदम कोई बना रहे। अपने आप से मुलाकात करवाता अकेलापन, भीतर -बाहर की खामोशियां और सूनापन, यह कमाल का संयोग किस कदर संजोने योग्य होता है ये केवल महानगरों की भागम -भाग झेलने वाले व्यक्ति ही समझ सकतें हैं। 

बहरहाल जाते हुए वर्ष 2014 तुम्हें भी अलविदा! तुम्हारा साथ कई नाटकीय उतार -चढ़ावों के चलते बेहद शानदार रहा। इसी का नाम जीवन है। यात्राएं, संशय, उलझन, कुछ परेशानियां, थोड़ी थकन, आकाश भर खुशियां और मुट्ठी भर शिकन…मायूसियां और अफ़सोस......नहीं अफ़सोस बिलकुल भी नहीं। अफ़सोस करना मेरी फितरत में नहीं है। जो हुआ, ठीक रहा। कुल मिलाकर यह वर्ष खुशियां बिखेरता रहा।अलविदा कहना अच्छा नहीं लगता। यह शब्द अपने में घबराहटों और संवेदनाओं की नमी लिए रहता है। इसलिए नए वर्ष 2015  का आगाज़ करते हैं। 

इस आने वाले वर्ष में सभी पर खूब सुकून और ढेरों दुआ बरसे / चारों तरफ अमन-चैन और बेशुमार प्रेम बहे

नए वर्ष 2015 की अनंत शुभकामनाएं !!


Thursday, January 3, 2013

स्वागत नव वर्ष - 2013

  No Resolution /  Accept Life as it comes  


हर वर्ष की तरह दुनिया दिखाते दुनियादारी सिखाते फिर से तारीखें बदल गई कैलेंडर बदल गए। सभी ने जोश और उत्त्साह के साथ नए-नए संकल्पों की सूची भी तैयार कर ली होगी। क्या अच्छा करना है? क्या बुरा त्यागना है? क्या हासिल करना है? कौन सी मंजिल पानी है? किस मुकाम पर पहुंचना है आदि। 

मैं ऐसा नहीं कर पाती। मैंने जब भी कुछ संकल्प लिए तब या तो वो कुछ दिन तक ही चले या फिर कुछ महीने तक। धीरे-धीरे हर दिन अपना आकार खुद ही गढ़ लेता था। अक्सर जैसा सोचती हूँ वैसा होता नहीं और जो कभी सोचा नहीं वो आगे से आकर अपनी मनमानी करता सा खड़ा हो जाता है। 

वैसे उपरवाला अक्सर मुझपर मेहरबान ही रहता है। बहुत उतार- चढ़ाव के बगैर मेरे जीवन को सहज, सरल और सुन्दर बनाए रखता है। महत्वपूर्ण, अर्थपूर्ण कई कार्य, बहुत ढेर सारी मेहनत, दौड़ना-भागना, हँसना-बोलना, आना-जाना, मिलना-मिलाना...न जाने क्या क्या करवाता रहता है। अच्छे -बुरे, उजले -मटमैले, सुर्ख -बदरंग..सभी रंगों से रंगता मेरे जीवन के कैनवास को सतरंगी बनाए रखता है। 

आप सभी को नए वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ! नया वर्ष आप सभी के संकल्पों को साकार करता हुआ मंगलमय हो! 


Monday, December 24, 2012

जाते हुए वर्ष की आखिरी बात - 2012

खुशियों से दामन भरा रहे / यूँ ज़िंदगी बीत जाए  
मिलन की राह में कभी / अलविदा की शाम न आए 


मिलन एक सुन्दर अहसास है जो जीवन को आनंदित और आशावान बना देता है। वही अलविदा उस शाम की तरह है जहाँ ढलता हुआ सूरज एक लम्बी स्याह रात के अकेले उदास टुकड़े को बेचैन छोड़ जाता है।

पिछली सारी बातें, मुलाकातें, ज़िंदगी के तमाम उठाव-चढ़ाव, फुरसतें और मेहरबानियों का ब्योरा हाथ में थमाता हुआ वर्ष फिर अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया। हर वर्ष की ही तरह जाते हुए वर्ष के ये आखिरी के कुछ दिन मुझे हमेशा मायूस कर जाते हैं।

आने और जाने में ज़िंदगी की राहें कब किसे कहाँ और क्यों पहुंचा देती हैं कोई नहीं जानता। जीवन की इन मीलों लम्बी राहों पर मिलने और बिछुड़ने का सिलसिला निरंतर चलता रहता है। इन पर चलते, चढ़ते, उतरते अब इन रास्तों से ही मोहोब्बत हो गई है। इसलिए उपरवाले से बस इतनी सी दुआ है....  

नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

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