Monday, December 24, 2012

जाते हुए वर्ष की आखिरी बात - 2012

खुशियों से दामन भरा रहे / यूँ ज़िंदगी बीत जाए  
मिलन की राह में कभी / अलविदा की शाम न आए 


मिलन एक सुन्दर अहसास है जो जीवन को आनंदित और आशावान बना देता है। वही अलविदा उस शाम की तरह है जहाँ ढलता हुआ सूरज एक लम्बी स्याह रात के अकेले उदास टुकड़े को बेचैन छोड़ जाता है।

पिछली सारी बातें, मुलाकातें, ज़िंदगी के तमाम उठाव-चढ़ाव, फुरसतें और मेहरबानियों का ब्योरा हाथ में थमाता हुआ वर्ष फिर अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया। हर वर्ष की ही तरह जाते हुए वर्ष के ये आखिरी के कुछ दिन मुझे हमेशा मायूस कर जाते हैं।

आने और जाने में ज़िंदगी की राहें कब किसे कहाँ और क्यों पहुंचा देती हैं कोई नहीं जानता। जीवन की इन मीलों लम्बी राहों पर मिलने और बिछुड़ने का सिलसिला निरंतर चलता रहता है। इन पर चलते, चढ़ते, उतरते अब इन रास्तों से ही मोहोब्बत हो गई है। इसलिए उपरवाले से बस इतनी सी दुआ है....  

नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

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