'ज़िंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं / ज़िंदगी की कई उड़ान अभी बाकी हैं'
वर्ष 2020 दुनिया भर को हैरान कर देने वाला वर्ष रहा है। क्षणिक सी मुस्कान, मायूसी, उदासी, अकेलेपन और अफ़सोस का वर्ष। सब तरफ वीराना, खामोशी और अशांति का आलम छाया रहा। सारा संसार कुछ पलों के लिए स्तब्ध रह कर थम गया। असहाय, बेबस और भयभीत आँखों से कोरोना जैसे अति सूक्ष्म विषाणु का तांडव देखता रहा। ऐसे हालात में बड़ा, छोटा, अमीर, गरीब सब एक सम पर आकर ठहर गए। रोग का आक्रमण सब तरफ बराबर रहा। किसी से कोई भेदभाव नहीं, न किसी जाति से, न किसी वर्ग से। कई इस कोरोना से संघर्ष करते हुए ज़िंदगी की जंग हार गए, कई विजयी भी हुए। जीवन एक संग्राम है।
यही वह समय भी रहा जब जीवन से रफ़्तार थम गई। फुर्सत भरे पल नसीब हुए। जंगल में भटकने के भरपूर अवसर मिले। नदियों के बहाव को, पहाड़ों के विराट रूप को और प्रकृति के सौंदर्य को जी भर कर सराहने की तमन्ना पूरी हुई। खामोश रह कर अपने आप से साक्षात्कार करना इस वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
बहुत से सन्देश देते हुए ये कोरोना का संक्रमण जल्द ही अलविदा कह देगा। तब सब तरफ अमन,शांति और सुकून बरसेगा इसी आशा के साथ अलविदा 2020...