Tuesday, September 15, 2020

वक्त ने किया क्या हंसी सितम

'वक्त ने किया क्या हंसी सितम,  हम रहे न हम, तुम रहे न तुम'

 "एक ही बात मुझ में अच्छी है, और मैं वही नहीं करता / मुझे कैसे मिले फ़ुरसत, मैं कोई काम ही नहीं करता।"

कभी जब कोरोना रहित वाला अच्छा समय था, तब लिपस्टिक महिलाओं के सौंदर्य में चार चाँद लगा देती थी। सारा मेकअप एक तरफ, लिपस्टिक से होंठों को गुलाबी, लाल करते ही अभूतपूर्व रूप से चेहरे का खिल उठना कमाल की बात होती है। चेहरे अब भी खिलते हैं। नए, निराले डिजायन के नक़ाब के पीछे। करवट बदलते रहना समय की फितरत है। उसके करवट बदलते ही वक्त बदल जाता है, हालात बदल जाते हैं।  

आजकल होंठ मास्क के नकाब के पीछे छिपाए रखना मजबूरी हो गई हैं। लिपस्टिक बेरोज़गार हो गई। लिपस्टिक की सेल मुंह के बल नीचे गिर गई। स्टोर्स पर ख़रीददारी करने जाओ तो फ्री गिफ्ट के तौर पर लिपस्टिक मिलने लगी है। मुझे जैसे लिपस्टिक का उचित उपयोग न जानने वाले लोगों को ये मुफ्त उपहार नहीं चाहिए होता है। 'इसके बदले कुछ और नहीं मिल सकता? सेफ्टी पिन ही दे दो।"

उत्तर में बालिकाओं की बड़ी काजल लगी कजरारी आंखें मुस्कुरा दीं। "मेरी तरफ से ये तुम रख लो, तुम बालिकाओं के लिए प्यार भरा गिफ्ट।" प्रतुत्तर में मुझे जोर की हंसी का स्वर सुनायी दिया। ऐसी हास्य प्रतियोगिताओं में भाग लेना मुझे बेहद पसंद है। वहां हंसी का स्वर दोगुना हो गया। बहरहाल मैं इन फ्री गिफ्ट वाली रंग -बिरंगी लिपस्टिक के संग्रह को देख कर सोच रही हूँ। क्या मुझे होंठ लाल, गुलाबी करने शुरू कर देने चाहिए?
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