अभी वह अपने बचपन में अठखेलियां करती है। बेखबर है दुनिया के रंग -ढंग से। खुश है। खेल रही है अपने मेमने के साथ। प्यारे मेमने को वह सोमू कहती है। दे रही है उसे अपना सम्पूर्ण स्नेह और प्रेम। वह करती है सोमू पर अथाह विश्वास। उसकी हर कलाबाजी पर लड़की भरती है किलकारी और प्रसन्न रहती है। दोनों एक दूसरे की खुशी का रखते हैं पूरा ध्यान।
जीवन लंबा है। मेमना बड़ा हो जाएगा। वह सीख जाएगा अन्य साथियों के साथं दौड़ना, कूदना, खाना और अपने मन मुताबिक जीना।
तब उसे जरुरत नहीं होगी लड़की के स्नेह और प्रेम की।
बचपने को पीछे धकेल कर लड़की भी बड़ी होगी। संसार के रीति -रिवाज़ों को अपनाती संगठित होती जाएगी। गांभीर्य का गोटा लगी हुई जिम्मेदारियों का दुपट्टा ओढ़ने लगेगी। हर लड़की के पास होता है प्रेम, स्नेह और विश्वास का अद्भुत खजाना। अपने उसी हुनर को दिखाती हुई वह दूसरों की खुशी के लिए अलाव सी जलती है। रौशन करती है उनका जीवन। लड़की को अपने लिए भी जीना कभी तो आएगा।
लंबे जीवन में होम होते हुए अलाव की आंच कम होने लगेगी। रीतते हुए वह खामोशियों से भरती जाएगी।
करने लगेगी फिर से प्रेम भरे दिनों का इंतज़ार।
प्रेम भरे दिन तब आएंगे जब वह करेगी अपने आप से प्रेम। जिसमें एकांत उसका पक्का साथी होगा रुमानियत से कसमसाता हुआ। तब हर लड़की को अपने लिए भी जीना आ जाएगा।
प्रेम भरे दिन तब आएंगे जब वह करेगी अपने आप से प्रेम। जिसमें एकांत उसका पक्का साथी होगा रुमानियत से कसमसाता हुआ। तब हर लड़की को अपने लिए भी जीना आ जाएगा।