Monday, February 10, 2020

जीवन में पंगा ले ही लेना चाहिए ( पंगा फिल्म देखते हुए )


"बच्चों को पति के भरोसे छोड़ दो और पति को भगवान् के" उसकी मित्र द्वारा ऐसा जया से उस समय कहा गया जब वह जीवन में कमबैक करने के बारे में सोचते हुए फिर से पति, बच्चा, घर परिवार के गुंजलक से बाहर नहीं निकल पा रही थी। मुझे कंगना खूब पसंद है। अपनी अदाकारी से किसी भी चरित्र को जीवित कर देतीं हैं। 

यूँ तो हर औरत बिंदास जीना चाहती है। देखती है खूबसूरत सपने और भरना चाहती है अपनी स्वच्छंद उड़ान। किन्तु लाख चाह कर भी वह उस ऊंचाई पर नहीं उड़ पाती जहाँ के सपने देखती है। उसके आड़े आ जाता है बहुत कुछ। जया जैसा पति, बच्चा कितनों को मिलते हैं? गर मिल भी गए तो कितनी हैं जो अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकल कर ज़िंदगी से पंगा लेने को कमर कसतीं हैं? परिवार का सपोर्ट मिल भी जाए तब भी दिल मजबूत करके, अपनी शर्तों पर आगे बढ़ कर अपने सपने जीने की हिम्मत कितने प्रतिशत औरतें रखतीं हैं? बात चाहे शादी के पहले की हो या बाद की। स्थिति जस की तस। फलस्वरूप पंगा न ले सकने के हालात पर औरत के पास रह जाता है अवसाद, दुःख, बहाने, आरोप -प्रत्यारोप और शिकायतें जैसी कई एक्सक्यूसिस। सही मायने में दोष किसका हुआ? 

'आँचल में दूध, आँखों में पानी' मैथिली शरण गुप्त ऐसे ही थोड़े लिख दिए। जया कबड्डी की ट्रेनिंग लेने चली गई। उसके जाने के बाद घर का खालीपन साफ़ दिखता है। औरत घर को घर बना देती हैं, रहने लायक सजा देती हैं। अमूमन यह बात उसके घर पर नहीं रहने के बाद ही मालूम पड़ती है। घर के दैनंदिन कार्यों और बच्चे को न संभाल पाते पति की बेचारगी वाली हालत देख कर सिनेमा हॉल में बैठी महिलाएं दर्द और प्रेम से कसमसा उठीं। "ओह बेचारा।" उसका परांठा जला, सब्जी में तेल ज्यादा हुआ, घर भर में कपड़े फ़ैल गए। "च्च्च, ओह! आह ' उच्चारती औरतों का प्रेम, स्नेह, ममता छलक -छलक का बाहर हॉल में आता रहा। उनका बस चलता तो झट उठ कर उस पत्नी विहीन घर को सँवारने चल पड़तीं। ये ऊपरवाले ने 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो' को कमाल का बनाया है। उसका दिल बेमिसाल बनाया है।

कर गुजरने वालों के लिए असंभव कुछ नहीं। कम बैक कोई भी कर सकता है। यह किसी भी समय, किसी भी उम्र में संभव है। अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलना इसकी पहली शर्त होती है। अब जिनमें पंगा लेने की हिम्मत है, किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का जुनून है, हौसला है। वे पंगा ले ही लेते हैं। खूब सफल भी होते हैं। यह बात सिर्फ औरत तक ही सिमित नहीं है वरन हर वर्ग के स्त्री -पुरुष दोनों के लिए है। जीवन से पंगा हर किसी को लेना चाहिए। कोई नहीं जो है सो है। 'कल करे सो आज कर।' 

अब जिसे भी स्व -प्रेरणा, सेल्फ मोटिवेशन चाहिए वह 'पंगा' देख आएं। ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है। इसलिए बिंदास, बेझिझक पंगा लें और जीवन में जबरदस्त कम बैक करें। जीना इसी का नाम है। 
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