Monday, March 14, 2016

कुछ तुमने कहा होता कुछ हमने सुना होता


तुमने कितनी शिद्दत से कहा था 
हम तुम मिलेंगे एक दिन 
और तब तुम कहोगे 
कि तुम करते हो प्रेम मुझसे 
परन्तु वह दिन नहीं आया 
अभी तक 

तुमने कहा था हर सुबह 
जब तुम लोगे मेरे नाम को शिद्दत से  
तब सारी कायनात जगमगा उठेगी 
मेरी पुलक से तुम्हारी मुस्कान से 
और वह दिन भी नहीं आया 
अभी तक 

तुमने ऐसा भी तो कहा था 
कि हर शाम डूबते सूरज के साथ 
विदा कर दोगे तुम अपनी उदासियों को 
फिर हमारे रिश्तों की यादों को 
जीवित कर के अपने दिल में 
महक उठोगे मोगरे की डाली से 
देखो वह दिन भी तो नहीं आया 
अभी तक 

तुम बोलतें ही क्यों हो ऐसा कुछ भी
जिसे कभी पूरा नहीं कर सकते 
तुम चुप ही क्यों नहीं रहते 
मुझे पसंद है तुम्हारी खामोशियाँ भी 
वही तो है जिसे मैं पढ़ पाती हूँ हर शाम 
बड़ी खूबसूरती से तुम्हारी बातों में 
दरअसल खामोशी को पढ़ना और समझना 
बस यही एक काम आता हैं मुझे 
बखूबी !! 

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