रॉबर्स केव नामक यह प्राकृतिक गुफा मुख्य देहरादून ( उत्तराखंड
) से 8किमी की दूरी पर है। यहाँ पर इसे गुच्चु पानी के नाम से भी जाना
जाता है।
यह निचले हिमालय की शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित है। चूना पत्थर से निर्मित यह गुफा करीब 600 मीटर लंबी है।
किवदंती के अनुसार यह गुफा डाकू मान सिंह की शरणस्थली हुआ करती थी। इसमें
से होकर बहती हुई नदी को देखना और उस पर चलने का अहसास अद्भुत है। नीचे कंकड़ -पत्थर
होने से इसमें सख्त तली वाली सेंडल या चप्पल पहन कर जाना ठीक रहता है।
इसके ठंडे पानी में पैर डालते ही मई -जून की तपती गर्मी से अति राहत मिलती है।
इसमें थोड़ा और भीतर जाने पर करीब 10 मीटर ऊंचा एक झरना भी है। उसके नीचे तालाब की शक्ल में पानी इकट्ठा है।
दो वर्ष पहले फरवरी माह में जब इसे मैंने
पहली बार देखा था तब यहाँ पर इतना कुछ ताम -झाम नहीं था। अब ये एक शानदार पिकनिक
स्पॉट बना हुआ है।
अंग्रेज्जों की भाषा में 'भारतीय
अपनी विरासत की खुद ही कद्र नहीं कर पातें हैं।' वाली बात यहाँ पर भी एकदम
सही बैठती है। गेट पर 25 रुपया पर व्यक्ति टिकिट है और भीतर खाना -पीना
ले जाना सख्त मना है। बस यह नियम वहीं तक लागू है। भीतर की दुकानों से चाय - ठंडा
आदि खरीद -खा कर फिर गुफा के भीतर फेंकें हुए रैपर और खाली बोतलें देखी जा सकतीं हैं।
खैर कोई नी.....किसी भी रूप में नियमों
की अवहेलना करने वाले कुछ मंदबुद्धि लोग हमारे इस देश की शान हैं। जैसे खटारा सड़कों
को और सरकार को सबसे ज्यादा वही आला -अफसर और सो कॉल्ड बड़े लोग कोसते हैं
जो टॉल टैक्स देने के एवज में अपनी लाल -नीली बत्तियों, रुतबों आदि का रुआब
दिखा कर सर ऊंचा करके साइड लेन से शान से निकल जातें हैं।
वैसे यही अस्सी -सौ रूपये बचा कर फिर ये
उस मोटी रकम का आखिर करते क्या होंगे ????? घर पहुँच कर मैगी खाते होंगे......और क्या....