Thursday, February 19, 2015

हंगामा क्यों बरपा



"मेरे प्यारे देशवासियों......मेरी ये कोशिश रहेगी, सभी को उनकी योग्यतानुसार काम अवश्य मिलेगा। मेरे इस प्यारे भारतवर्ष में कोई बेरोज़गार नहीं रहेगा....... " 

मुझे लगा कि शायद मोदी जी ने ऐसा कुछ कहा। क्योंकि होता ऐसा ही है। वे अपना कोई भी कदम उठाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। पीछे छोड़ जाते हैं तिलमिलाहटों का हुजूम। गोकि ततैया के छत्ते को जान -बूझकर छेड़ा और स्वयं मुस्करा कर चल दिए। पीछे कुछ उन ततैयों से अपने आप को बचा ले जाते हैं परन्तु कुछ उनसे नूरा -कुश्ती करने लगतें हैं। ये भी एक महत्वपूर्ण काम है ….हाँ तो...... उनकी मर्जी। 

इसी तरह मोदी का सूट, उन्हें उपहार में मिला, उसका वे कुछ भी करें उनकी मर्जी। पर नहीं यहाँ पर भी हमारी मर्जी चलेगी। हमसे पूछा जाना चाहिए था कि वे अपने उपहारों का सदुपयोग कैसे करें? हम बुद्धीजीवी लोगों के टैलेंट को पहचान मिलनी चाहिए। 

पहले हंगामा हुआ मिशेल और बरॉक ने दो जोड़ी परिधान बदले मोदी ने तीन क्यों ? फिर दस लाख का सूट क्यों पहन लिया ? How dare he जैसा। अब उस सूट को उन्होंने न पहनने का मन बनाया और उसे बेच कर गंगा की सफाई में लगा देना चाहा। तब आवाज है -बेच क्यों रहें हैं ? बार्डरोब में टांगने भर के लिए था वो। ये मोदी जी भी न बस कहते ही रह गए ' मन की बात' समझते तो हैं नहीं अपनी प्यारी जनता के मन की बात को। 

कितना अच्छा होता कि अभी हम कतई अपनी बोलती बंद रखते और जब सूट के पैसे से गंगा साफ़ नहीं होती तब पूरे उच्च स्वर में आंदोलन कर दिया जाता। महा आंदोलन। करना मोदी के प्यारे देशवासियों, हमे अपने साथ ही खड़ा पाओगे। आखिर मोदी जी हमारे प्रधान मंत्री हैं, इसलिए उनके सूट के उस पैसे पर हमारा पूरा हक़ है। बात ख़त्म। 

वैसे हम जैसे जो हल्ला बोल दिए अपने ब्रांडेड सूट बेचना चाहेंगे तो क्या बिकेंगे? हम भी किसी काबिल तो हों, देश हित में हमारे कर कमलों द्वारा चंदा तो जाए। सुबह के अखबार के अनुसार "मूर्तियां बेच रहे हैं, देश का दुर्भग्य " हाँ भाई उन्हें मालूम ही नहीं मूर्तियां केवल गंगा में विसर्जन करके पाप धोने के काम आतीं हैं। हर बात को जरूरी हुआ कोरी भावुकता और अंधभक्ति के साथ जोड़ देना? 

वैसे हमारा देश ऐसे महान लोगों से भरा पड़ा है। मैनक्विन बनाने लायक। तुषाद संग्रहालय में सजाने लायक। जो देश को आगे बढ़ाने वाले लोगों की टांगों में उलझे रहते हैं। "आगे बढ़ के तो दिखाओ ज़रा ? हम तो डूबे ही हैं तुमको भी ले डूबेंगे सनम " इन्ही लोगों के अथक प्रयासों से हमारा देश जल्द ही फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा। 

ना….....ऐसा नास्त्रेदमस ने थोड़े ही कहा है ....हम कह रहे हैं, कहने में क्या जाता है। बातें ही हैं.....कोरी बातें, बातों का क्या.....

और हाँ फिर बताये दे रहे हैं हम किसी पार्टी विशेष के नहीं हैं। व्यक्ति विशेष पर थोड़ा दिल आ जाता है। क्या कीजै दिल तो है दिल.....   



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