Saturday, October 4, 2014

कथाबिंब पत्रिका के (जुलाई -सितम्बर 2014 ) अंक में प्रकाशित मेरी कहानी- 'सर्पदंश'

सम्पादक - डॉ अरविंद 



राधिका से क्या चाहता था विराज?

विराज से क्या चाहती थी राधिका?

क्या था राधिका के मन के भीतर जिसे विराज कभी समझ ही नहीं सका?

क्या जीवन हमेशा ही इतना उलझा हुआ होता है...? 

 पढ़ने के लिए यहाँ

http://issuu.com/kathabimb/docs/2014_3qfull/1?e=3010945/9538819 




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