मन जब सूना हो जाता है
न जाने क्या हो जाता है
जीवन को लिखने लगते हैं
और कविता को जीने
तब कविता लेकर आती है
अनगिनत अनकही बातें
कुछ लम्हे खुशी के और
कुछ दुख की सौगातें
दो पल की उदासी लेकर
खामोश सफर तय करते हैं
कुछ कतरे यादों के जड़कर
भावों की खेती करते हैं
यादों की भीनी खुशबू से
सपनो में रंग भरते हैं
कुछ इत्र के बादल उठते हैं
कुछ दर्द लिपटता जाता है
हम ख्वाब सजाने लगते हैं
ये किससे कैसा नाता है
कागज़ पर यादों के
संसार बसाने लगते हैँ
अनुभव के पक्के रंगों से
जीवन को लिखने लगते हैं