मेरे घर में आग लगी है
ऊँची लपट है
और आग में तपन है
याद आ रही वह कहानी
एक चिड़िया पेड़ की रानी
ऊँची लपट है
और आग में तपन है
याद आ रही वह कहानी
एक चिड़िया पेड़ की रानी
इस डाल से उस डाल फुदकना
वृक्षों की कोख में जीना
फिर वृक्ष में आग लगना
अपनी जान गँवाना
वृक्षों की कोख में जीना
फिर वृक्ष में आग लगना
अपनी जान गँवाना
ये घर, मेरा अपना भारतवर्ष
ये आतंकवाद की ऊँची लपट
सत्ता की छीना झपट
अस्पष्ट लक्ष्य, झूठ कपट
ये अनंत भ्रष्टाचार
गली मोहल्ले मे होते बलात्कार
और चारदिवारी में भी
नारी पर होता अत्याचार
ये आतंकवाद की ऊँची लपट
सत्ता की छीना झपट
अस्पष्ट लक्ष्य, झूठ कपट
ये अनंत भ्रष्टाचार
गली मोहल्ले मे होते बलात्कार
और चारदिवारी में भी
नारी पर होता अत्याचार
समय यही है जागो
पाश्चात्य मिथ्या त्यागो
समय की गति पहचानो
राष्ट्र प्रगति के हवन कुण्ड में
सर्वस्व समर्पण कर डालो
पाश्चात्य मिथ्या त्यागो
समय की गति पहचानो
राष्ट्र प्रगति के हवन कुण्ड में
सर्वस्व समर्पण कर डालो
'साहित्य कुञ्ज' मासिक पत्रिका में प्रकाशित
( अगस्त प्रथम अंक १४ )