Tuesday, August 5, 2014

अच्छे दिनों की दरकार


लोग किन अच्छे दिनों के इंतज़ार में हैं? अभी तक क्या वे सभी बदहाल - फटेहाल जी रहें थे? यदि उनके अच्छे दिन आ जाएँगे तब क्या वे अपने जीवन के तमाम दुःख और परेशानियों से छुटकारा पा जाएंगे? सुकून और संतुष्टि से लबरेज़ हो जाएंगे? फिर वे कहते नज़र आएंगे। ' Once upon a time......जब हम दुखी हुआ करते थे। '

क्या वास्तव में मोदी सरकार उनके लिए वह अच्छे दिन ला सकेंगी जिसकी वे इतनी शिद्दत से गुहार लगा रहें हैं? उस चातक पक्षी की तरह तड़प रहे हैं जो स्वाति नक्षत्र की एक बूँद को पाने के लिए परेशान रहता है।

कमसकम मोदी सरकार ने एक काम तो अच्छा किया। कितने ही निराशावादियों को आशावादी बना दिया। 

लब्बो -लुआब ये रहा कि अपनी वजह से उन लोगो को न कभी कोई परेशानी थी, न है, और न होगी। उनकी ज़िंदगी में पूरी तरह अमन चैन है। या रब जो अच्छे दिनों के लिए मोदी सरकार के मोहताज हैं। जिनके अच्छे दिनों की चाबी मोदी सरकार के हाथों में है। उनकी मनोकामना जरूर पूरी करना। वर्ना वे यूँ ही मेढ़क और झींगुरों की तरह गाते हुए शहीद हो जाएंगे। उनकी आत्म ह्त्या का इल्ज़ाम आएगा मोदी सरकार के सर।  

हमारे देश में रुदालियों की कोई कमी नहीं है। एक से बढ़ कर एक कलाकारों का जमावड़ा है। कोई रुदाली पार्ट -२ क्यों नहीं बनाता? ( Danny Boyle ) डैनी बॉयल आप हमारी एक ही फिल्म बना कर संतुष्ट क्यों हो गए? हमारे देश में प्लॉट और किस्से -कहानियों की कमी नहीं है। आप हमें इतना भी अंडर एस्टिमेट न करें। चलिए झट - पट रुदाली सीक्वेल पर काम शुरू दें। हम खुद रुदाली हैं तो क्या हुआ? तुम्हारे अच्छे दिन ला सकते हैं। कुछ और ऑस्कर तुम्हारे नाम। 

आखिर अतिथि देवोभव हमारी संस्कृति है। क्या याद करोगे तुम भी.......

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