Tuesday, July 1, 2014

अल्लाह जाने क्या होगा आगे


बिना हिचकोले खाए चुपचाप, सीधी -सपाट, बेरौनक सी ज़िंदगी जीना। ये जीना भी कोई जीना हुआ।

मुझे इंडियन क्रैब की वो कहानी बहुत पसंद है। जिसमें वे एक दूसरे की टांग खींचते, लड़ते , झगड़ते , गिरते, पड़ते, उलझते रहते। मजाल कोई सा वाला दूसरे का सहारा बने और एक दूसरे को मदद करते हुए उस गड्ढे से बाहर निकल जाएँ। ये हुआ थ्रिल लाइफ का। 

क्रैब की ये प्रजाति सबसे ज्यादा राजनीति में पाई जाती है। वहां का माहौल, तौर -तरीक़े और आबो -हवा इस प्रजाति के लिए अतिउत्तम जो है। पिछले कुछ वर्षों से इनकी ज़िंदगी वीरान होने लगी थी। बेबसी, मजबूरी, घुटन, लाचारी, नाउम्मीदी और कोई सुनवाई न होने से वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि ज़िंदा हैं भी या नहीं। ऐसा ही होता है जब जीवन का थ्रिल समाप्त हो जाए। 

परन्तु अब मोदी के आने से उन सभी की ज़िंदगी में बहार आ गई है। जो बोलना भूल चुके थे उनकी भी गज भर लम्बी ज़ुबान हो गई है। आखिर हो भी क्यों नहीं भाई। जहाँ संभावनाएं होतीं हैं वही उम्मीदें भी होतीं हैं। आजकल वे शान से कहने लगे हैं। 

"मोदी इज़ द सीक्रेट ऑफ़ ऑर एनर्जी " 

एक कहावत सुनते थे - खाली को काम / दे मेरे राम

देखो कमसकम उन जीवन से विरक्त हो चुके लोगों के तो अच्छे दिन आ गएँ हैं। उन्हें काम मिल गया है। अब मज़ाल देश हित के लिए कोई कुछ सोचे और ये क्रैब मानसिकता के लोग उनकी टाँग न खींचे। आलोचनाएँ कर के, कमियाँ निकाल कर, आतुरता दिखा कर उन काम करने वाले चंद लोगों की हिम्मत न तोड़ी तो इन्होने क्या ख़ाक किया। और क्या ख़ाक जिया। 

इस प्रजाति की एक सबसे महत्वपूर्ण खासियत ये भी है कि ये उपयुक्त माहौल न मिल पाने से कुछ वक्त के लिए हाइबरनेट हो जाते हैं परन्तु जैसे ही वातावरण इनके अनुकूल , कूल -कूल हो जाता है ये फिर कुश्ती के लिए तैयार हो जाते हैं। ज़ुबानी कुश्ती भी कुश्ती का ही एक हाई टेक रूप है। वर्षों से चली आ रही ये प्रजाति कॉकरोच, खटमट की ही तरह कभी अभावों से स्वयं नहीं मरती। इसलिए विद्व्जनों ने इनको अमर -अजर की श्रेणी में रखा है। 

ये प्रजाति कबीर दास के समय में भी पाई जाती थी। अब वह हुए संत। सकारात्मक ही सोच सके। उन्होंने उन्हें कुछ स्थान देते हुए कह दिया -  "निंदक नियरे राखिये / आँगन कुटि छवाय  " 

मोदी टीम तुम जमे रहो , डटे रहो। चौबीसों घंटे काम करो। क्या रखा है नींद में। और क्रैब मानसिकता के लोगों बने रहो, आबाद रहो। इनकी नींदें उड़ाते रहो। हम तुम्हारे साथ हैं। आखिर हमारे भी जीवन में कुछ तो थ्रिल आए। 

हम इस सरल, सीधी, सपाट ज़िंदगी से बोर हो कर बौरा गए हैं। इसलिए अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। 

"एंड यू कॉमरेड............बकबकी पर केवल तुम्हारा ही कॉपीराइट नहीं है,……… "

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