Friday, March 7, 2014

ये तेरा घर ये मेरा घर


बारिश देखी थी ?
सुबह उगते हुए सूरज को ?
देखा था न ?

अपनी लालिमा समेट कर 
अस्ताचल को जाते हुए 
उस सूरज को भी देख लेना  
जिसकी पवित्र सूरत पर 
सारा आकाश लजा जाता है   

शोर करती हुई चिड़ियों का 
अपने नीड़ पर वापस जाना भी 
उतना ही सुन्दर होता है 
जितना कि सुहानी शाम का 
बैठ जाना रात के आँचल तले  

घर लौटने की जल्दी 
हर किसी को होती है
कितना सुखद होता है 
दिन भर की थकन और टूटन के बाद  
अपने घर की तरफ कदम बढ़ाना 

एक लम्बी अंगड़ाई लेकर  
अपने बढे हुए कद को 
समेट कर छोटा कर लेना और 
समा जाना आराम कुर्सी में 
फिर झूलते हुए देखना 

वो सब कुछ जो सुकून देता है   
दुःख सुख के चश्मदीद गवाह 
और हर पल के मूक साथी 
घर की छत,पंखे और चारदीवारी 
अपना घर ही तो है 
जो सिर्फ अपना होता है। 

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