Friday, January 24, 2014

देखो ये चाँद करता है क्या इशारे

             
बादलों की ओट में तुम छुप से गए थे
तारों की छांव में सहम से गए थे
मुझे इंतज़ार था तन्हाई का
तुम लिए थे शोर हवाओं का
मैंने चाहा नीम अन्धकार
और चाही ओट दरख्तों की
तुम खड़े बीच आकाश में
लिए चांदनी आगोश में
बड़ी मुद्दत से ये खामोशी चुनी मैंने
तेरे पास आने की एक सूरत बुनी मैंने
अब धुंध से बाहर निकल कर
तुम ही कोई यतन कर लो
मिलन की कुछ राह निकले
ऐसा कोई जतन कर लो

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