Tuesday, August 6, 2013

ज़िन्दगी ये सफ़र में है


अपने आप को निहारो 
थोड़ी देर तक दर्पण में 
आश्चर्य होता है 
कौन हैं हम 
क्या हैं 
ऐसे कैसे हैं 
कैसे सब के पास होता है 
अलग रंग -रूप 
अलग दिल-दिमाग 
अलग सोच विचार इच्छाएं 
फिर भी कैसे मिल जातें हैं 
अपनी ही तरह की सोच वाले 
कुछ अजनबी 
और बन जाते हैं 
हमख्याल,हमराही,
और हमसफ़र