Friday, January 18, 2013

PATTAYA - (THAILAND)





दिसंबर  ( 2012 ) में कुछ दिनों के लिए थाईलैंड ( बैंकोक, पटाया ) में थी। थाईलैंड जाने का यह मेरा पहला अवसर था। वहां  पर कहाँ घूमना है और क्या -क्या देखना है? यात्रा करने से पहले इसकी कुछ जानकारी मित्रों से और कुछ नेट और पुस्तकों से प्राप्त कर ली थी। टूरिज़्म की दृष्टि से भी यह सफर बहुत आनंददायक रहा। 

थाईलैंड कोई बहुत सम्रद्ध देश तो है नहीं फिर भी मैंने वहाँ (पटाया) पर किसी को भीख मांगते नहीं देखा। There is no free meal को सार्थक करते हुए पैसा कमाने के लिए सभी कुछ न कुछ काम करतें हैं। एक बालक सड़क पर कुछ इस तरह से पसीना-पसीना होता दर्शकों का मनोरंजन कर रहा था ( नीचे वीडियो देखें ) उसके सामने रखी पेटी में लोग कुछ न कुछ स्वयं ही रखे दे रहे थे। इतनी मेहनत और सुन्दर कला को देखकर शायद ही कोई हो जो टिप नहीं दे रहा हो। 

जो बात थोड़ा मन को जंचीं नहीं वह ये थी कि....इतना बड़ा टूरिस्ट हब जहाँ देश-विदेश के लाखों सैलानी हमेशा घूमते रहतें हैं। अच्छे होटल हों या बाज़ार, मॉल हों या फिर मनोरंजन की अन्य दर्शनीय स्थल। सभी जगह भाषा एक अवरोध बनी रही। हिन्दी तो न सही परन्तु अंगरेजी जो लगभग कई देशों में बोली जाती है यहां उसका ज्ञान भी कम ही था। 

 
मैं तो एक कागज पर रोज़ के काम में आने वाले कुछ थाई-हिन्दी शब्द और वाक्यों को लिख कर और सीख कर गई थी। मेरी टूटी -फूटी थाई और उनकी टूटी-फूटी अंगरेजी का ज्ञान बखारते दोनों ही पक्ष अपनी बात रखते, समझते खूब हँसते बतियाते थे परन्तु अपना काम तो चल ही गया। वैसे लोग वहां पर बड़े मिलनसार, मजाकिया, हँसमुख और भाषा के अवरोध के बावजूद भी बतियाने को हमेशा तैयार रहते हैं। 

वहाँ के एक मशहूर शो अल्क्ज़ार के बारे में भी सुना हुआ था। कुछ मित्रों ने मना किया था ये कह कर की इसे परिवार व बच्चों के साथ नहीं देखा जा सकता है परन्तु इतना मशहूर और कीमती टिकिट होने के बाद यह फालतू का शो कैसे हो सकता है ये सोच कर मैंने इसे देखा। फिर नजरिया अपना-अपना।

यह करीब एक घंटा बीस मिनिट का शो था। जगमगाते, जीवंत, आलीशान, भव्य सेट और चमचमाते परिधानों में सजी परियों सी खूबसूरत बालाएं (या ladyboys....) पूरे शो में अलग-अलग देशों का प्रतिनिधित्व करते शानदार सेट और वहाँ की पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकार, गीतों और नृत्यों, लोक कहानियों से सजा रंग- रंगीला संसार। भारत देश की सुन्दर प्रस्तुती भी 'देवदास फिल्म ' के एक गीत के साथ थी। वैसे मैं समझ नहीं पाई कि इस शो में ऐसा क्या था जिसके लिए मनाही थी........

पटाया की रातें बहुत जिंदा और मस्ती भरी होतीं हैं...6 बजे शाम से वाकिंग स्ट्रीट पर वाहन की आवाजाही बंद हो जाती है....2 बजे रात तक। ढेरों बार, नाईट क्लब्स,डिस्कोथिक आदि से देर रात तक सड़कों और वाल्किंग स्ट्रीट पर शोर-गुल, संगीत, घूमना, खाना और आवारागर्दी करना चलता रहता है.....कुल मिलाकर जीवन में एक बार तो मस्त थाईलैंड ज़रूर देखना चाहिए....

सफ़र की समाप्ति पर दुनिया भर में मशहूर सारी थकान उतारने के लिए थाई मसाज जरूर करवानी चाहिए। मदमाती इत्रों, क्रीम और औषधीय लेपों से मदहोश करती खुश्बू और महकते वातावरण में अपनी मनमोहक मुस्कान, सुगढ़, मजबूत और नरम हाथों से मालिश करती सुन्दर बालिकाएं पहलवानों से दाँव पेंच लगाती मालिश कर रहीं थी।

 इसमें एक्यूप्रेसर, नाड़ी तंत्र के दबावों, योग आदि से शरीर के सारे अंगों को 180 के कोण तक तोड़-मरोड़ कर ऐसे घुमा रहीं थीं मानो अन्त में घर जाते समय अलविदा कहती हुई हमारी सारी हड्डी -पसली हाथ में थमा देंगी। परन्तु जब पार्लर से बाहर निकले तो इतना स्वस्थ्य और तरोताजा महसूस कर रहे थे....चाहे तो कोई मैराथन दौड़ा ले.....वैसे भी वापस आकर दौड़ना ही था.....ज़िंदगी की भागम-भाग किसी मैराथन से कम थोड़े ही है.....


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