Ria Sharma (Sehar)
Passion for reading, writing and traveling .
Wednesday, October 17, 2012
चाँद को क्या मालूम
चाँद किसी का भी हो सकता है
मुस्कुराते होंठों का
हँसते हुए ज़ज्बातों का
टूटे हुए दिल का
नम आँखों का
इंतज़ार और मिलन का
इनकार और इज़हार का
प्रेम और खुमार का
तुम्हारा
और मेरा भी
चाँद तुम अच्छे हो
सभी को बहलाकर
फिर सभी के हो जाते हो
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