Wednesday, October 17, 2012

चाँद को क्या मालूम


चाँद किसी का भी हो सकता है 
मुस्कुराते होंठों का 
हँसते हुए ज़ज्बातों का 
टूटे हुए दिल का 
नम आँखों का 
इंतज़ार और मिलन का 
इनकार और इज़हार का 
प्रेम और खुमार का 
तुम्हारा 
और मेरा भी 
चाँद तुम अच्छे हो 
सभी को बहलाकर 
फिर सभी के हो जाते हो



Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...