एक प्याली चाय के साथ जाती है शाम
एक प्याली चाय के साथ आती है सुबह
उससे उठते धुंए और विचार
घेर लेते हैं आदमी को देर तक
एक उम्र जी लेते हैं इन चंद पलों में
मीलों चल लेते हैं अपने विचारों में
बहुत बोल लेते हैं अपनी सोचों में
फिर नहीं रह जाते शब्द कुछ बोलने को
तब छा जाता है मौन
और सुखद एकांत भी