Saturday, December 17, 2011

मिलन और बिछोह के रंग


चाँद और तारों से ना मिल पाता सूरज
उषा से मिलने की चाह लिए 
पर्वतों के पीछे से नीचे उतरता है
बिछोह और मिलन का ये रंग
अपनी गुलाबी आभा से 
पर्वतों पर गिरी बर्फ और सारे आकाश को 
इस रंग में रंग देता है
गहराता ये रंग कुछ पलों में लुप्त होता 
छोड़ जाता है स्याह अंधकार 
जीवन पर उतरता और चढ़ता 
कोई भी रंग पक्का नहीं होता 
फिर क्यूँ ये सिलसिला कभी थमता नहीं

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