समर्पित सभी मित्रों के सुनहरे बचपन को और मित्रों को ....
समर्पित मेरे भी उन बेहद प्रिय मित्रों को ...जिनका बचपन से आज तक मुझ पर स्नेह और विश्वास बना हुआ है
वो गीत वो बातें वो दिन वो रातें
वो आंसू वो मस्ती वो बारिश वो कश्ती
मासूम प्रेम को बताना शर्माना
नम आँखों को,मुस्कुरा कर छिपाना
रुठते मनाते वो पतझड़ बहारें
गहरी चुप्पियों के मूक नज़ारे
पढते पढ़ाते सपने सजाते
बहुत दूर निकल आये फिर राह बनाते
वो यादें वो वादे वो मिलने की आस
तुम्हारा कुछ सामान है मेरे पास
मुद्दतों बाद भी बातें वही
यादें वही मुलाकातें वही
बाँहों के घेरों में धड़कन को सुनना
मदहोशी के आलम में खामोशी बुनना
लम्हें वही हैं, वही हैं अहसास
तुम्हारा कुछ सामान है मेरे पास