Sunday, June 13, 2010

जवाब


कुछ प्रश्न बड़े बेमाने लगते हैं
जवाब टटोलते हुवे
रात दिन लम्बे हो जाते
प्रश्न के बोझ से
नम होती पलकें
और भारी हो जाती
मझधार में खड़े
दम तोड़ते शब्द
स्तब्ध रह जाते
भीतर कुछ बेआवाज़ टूटता
डरा सहमा दिल
फिर पनाह मांगता शब्दों से
तब तक शब्द भी
अपना सफ़र पूरा कर
खंडहर हो जाते