कुछ पल फुर्सत के
आज चुराए ज़िन्दगी से
नभ की नीलिमा सूरज की लालिमा
प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य
रंगों का सुन्दर समायोजन
दिल का कोना मीठी यादों से
सराबोर हो गया
वह भी ऐसी ही संध्या थी
कुछ कही कुछ अनकही बातों का सिलसिला
उनकी शांत सरल बातें
मेरी जोशीली बेबाक बातें
उनकी मधुर मुस्कान में दब जाती
प्रश्न पूछती वो आँखें
अंतर्मन को टटोलने लगती
उत्तर के अभाव में
फिर वही मौन
वही चिरपरिचित मुस्कान
आज अनायास वही मुस्कान
अपने होंठों पर पा
गर्वित हो जाती हूँ
कुछ पल मीठी यादों के
पल फुर्सत के हमने भी जिए थे