Saturday, November 7, 2009

प्रेमवर्षा




















शायद तुमको याद होगा
ऐसी ही बरसात के बाद
एक प्रेमगीत
मेरे जीवन सुर पर
लहराया था
बहा था
झर झर निर्झर
इन नयनों से
बिना रुके
तुम्हारे समक्ष

एक बरसात के बाद
इन आँखों मैं
ना दामिनी थी
न थी गर्जना
थी तो केवल वेदना
व्याकुल ह्रदय की चेतना
आतुर थी जो
बह जाने को
कुछ अधरों से
कुछ नयनों से

प्रेम तुम्हारे नयनों मैं
स्नेह तुम्हारे शब्दों मैं
अश्रु मेरी आँखों मैं
कुछ इस तरह
प्रेम वर्षा
परिभाषित हुयी
याद होगी तुम्हें

वो बरसात !!!!