Saturday, September 12, 2009

एल्प्स की वादियाँ ( स्विट्ज़रलैंड )


कुछ वर्ष पूर्व विदेश यात्रा ( ( स्विट्ज़रलैंड  व यूरोप ) और एस्कोर्टिंग दोनों का पहला अवसर मिला जिसे मैंने बिना गवाएँ सहेज लिया था। विदेश यात्रा, पहली बार वो भी बिलकुल अकेले......मैं अति रोमांचित हो उठी थी। तैयारी के तौर पर यूरोपा गाइड बुक व कुछ अन्य पुस्तकें ,खरीदी थोडा जर्मेन भाषा का कामचलाउ ज्ञान, वीडियो कैमरा, डिजिटल कैमरा और भारतीय संस्कृति को उजागर करते मित्रों व रिश्तेदारों के लिए उपहार लिए।

६ मई की रात को मैं उड़ चली थी ऐल्प्स की हसीन वादियों के ओर। सुबह ७ बजे परिचारिका की आवाज सुनाई दी -"अगले एक घंटे में हम लोग ज्यूरिक पहुँच जायेंगे" जब मुझे लगा हम ऐल्प्स के ऊपर से गुजर रहें हैं तो अति उत्सुक व रोमांचित होकर मैंने नीचे झाँका। चकित कर देने वाली खूबसूरती चारों ओर बिखरी हुई थी।  दूर- दूर तक पहाड़ियों पर फैली हरियाली ऐसा आभास दे रही थी- जैसे चित्रकार ने सारे जहाँ में बहुत ही करीने से हरा रंग भर दिया हो। 

उनके ऊपर छिटकी हुई बर्फ व कई खूबसूरत साफ़ नीले पानी की झीलें देखकर मैं आह्लादित हो उठी थी।भावविह्वल हो आँखों से आँसू छलक आये थे और ये भी ज़िन्दगी का एक सुन्दर अनुभव था जब ख़ुशी से आँसू छलके थे। इस विश्व में शायद ही इतनी रमणिक जगह कोई और हो....धरती पर स्वर्ग... शान्त, मौन सहेजती, स्वच्छ, धवल, फूलों व हरियाली का मखमली कालीन का सा आभास देती। भावविभोर हो उस नई दुनिया में खो सी गई थी। 

ज्यूरिक बेहद साफ़-सुथरा शहर है। वहाँ से एक घंटे में कार द्वारा हम घर पहुँच गए ....लुसर्न !!!
लुसर्न पहुँचने पर देखा सभी पारिवारिक सदस्य और बड़ी संख्या में मित्रगण बड़ी बेताबी से मेरा इंतज़ार कर रहे थे। हम भारतीय की ही तरह ये अंग्रेज लोग भी बहुत आत्मियता से मिलतें हैं, तहज़ीब वाले व मिलनसार भी होते हैं। सारा कमरा फूलों व चौकलेट्स से सजा हुआ था.....काली काफी, चौकलेट्स और मेरी प्रिय देसी चाय के साथ-साथ मस्ती, प्रेम व अपनेपन से मैं आनंदित हो उठी थी।

उनमें से कुछ अंग्रेज मित्रों ने भारतीय महिला पहली बार देखी थी। मैं उनके साफ़ दूध सी गुलाबी रंगत लिए हुए चेहरे और सुनहरे बालों की ओर आकर्षित हो रही थी और वे मेरे काले बाल व सांवली रंगत पर आश्चर्य कर रहे थे। बाबा (भाभी की माताजी) तो बड़े स्नेह से पता नहीं कितनी बार मेरे चेहरे व बालों को छूती थीं कि कैसे मैंने ये श्यामल वर्ण पाया है। कौन सी क्रीम से ये सनटैन हुआ ? इतना अपनापन भारतीयों के प्रति देखकर मन गदगद हो गया और मैं अपनी सारी थकान भूल गई। 

अगले दिन से शुरू हुआ सिटी टूर......लुसर्न,  स्विट्ज़रलैंड के मध्य में स्थित है। यहाँ पर मैं दो महिने रही...जिसमें से १७ दिन यूरोप दर्शन रहा। आगे फिर कभी इसके आस- पास की खास-खास जगहों का वर्णन होगा।



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