Sunday, May 10, 2009

लहरों से उलझता जीवन - २


हर बार रेपिड मे प्रवेश करते ही लगता था कि इस बार बोट जरूर पलट जायेगी । पानी का तीव्र वेग उसे आगे से इतनी ऊपर उठा देता था की जल्दी से गाइड के आदेशानुसार एक ज्यादा बजन वाले व्यक्ति को आगे से बोट पर झुक कर उस पर दबाव डालना होता था।

तब तक एक बहुत बड़ी लहर बहुत ठंडे पानी के साथ हमें पूरी तरह सराबोर कर देती थी। फ़िर हँसते ,खिलखिलाते हम आगे बढ जाते थे।

दूसरे रेपिड में प्रवेश करने से पहले कुछ देर राहत की साँस लेते थे।  फिर वातावरण शान्त , मौन हो उठता था।

उस दिन गंगा का बहाव बहुत तेज था व छुट्टियाँ शुरू हो जाने से बहुत से लोग रिवर राफ्टिंग करने के लिए आए हुए थे। रंग बिरंगी बोट्स पानी में मेले का सा आभास देती थी।

अब दूसरा रेपिड थोडी दूरी पर अपने प्रचंड वेग के साथ शोर मचाता हुआ सा दिखने लगा। लेकिन गाइड ने कुछ देर के लिए बोट्स वहीं रुकवा दी थी बोला -

" सामने देखिये वो सारी बोट्स ऐक -ऐक करके रेपिड में प्रवेश करेंगी। उनके क्लियर होने पर ही हम आगे बढ़ेंगे। "

फिर थोड़ा हँस कर बोला।

"यानी पानी में ट्रेफिक जाम हो गया है ..रुकना पड़ेगा । " उसकी इस बात पर हम सब भी मुस्करा पड़े थे।

इस तरह ४ बड़े रेपिड व कुछ छोटे रेपिड्स के बीच से गुजरे। अब तक तो सारी दुनिया हिल चुकी थी। पर इसका अपना निराला अनुभव था ।

अब बोट एक शान्त जगह पर आकर रुकी। जिसे डाईविग पॉइंट कहतें हैं । बोट से उतर कर ऊपर पहाड़ी पर चढ़ना था। जो चढ़ते समय बहुत आसान जान पड़ा । ऊपर टॉप पर से फ़िर नीचे कूदना था । नीचे नजर डाली तो लगा इरादा बदल कर शराफत से नीचे उतर जायें। लेकिन मन नही माना। फ़िर तो सभी २ , ३ बार कूदे। जब पानी में बहुत गहरे पहुँच जाते थे तो लगता था जैसे अब ऊपर कब पहुँचेंगे । दिल की धड़कन बढाता शानदार एक और अनुभव था ।

वापस बोट में बैठ कर थोड़ा और आगे गए । अब सभी रेपिड्स समाप्त हो चुके थे व गंगा थोड़ा शान्त हो चुकी थी । यहाँ गाइड ने कहा।

 " यहाँ कोई खतरा नही है सो सभी पानी में कूद जाएँ और ठंडे पानी का आनंद लें ।"

और जो थोड़ा डर रहा है वो बोट से बँधी रस्सी में अपने पैर फसां लें। लगभग सभी बोट्स के लोग पानी से नीचे उतर कर मज़े से तैर रहे थे ।

कैमरा ले जाने की अनुमति नही थी , क्यूँकि पानी सभी कुछ भीगा दे रहा था। मैंने गाइड के वाटर प्रूफ़ बैग में अपना मोबाईल कैमरा डाला और कुछ तस्वीरें लेने को कहा था।

तभी सामने राम झूला नज़र आने लगा जो हमारी इस रेफ्टिंग का अन्तिम पड़ाव था । इस तरह रोमांचित रिवर रेफ्टिंग की यात्रा ...उत्तेजित ,उत्त्साहित करती रही। शोर मचाते ,गाते ,ठण्ड से कंपकंपाते ये पानी का सफर समाप्त हो गया। वहाँ से हम सभी तरोताजा होने भोजन के लिए अपने कमरों की ओर बढे।

कुछ देर के बाद अदरख की गर्म चाय के साथ एक  बार फ़िर हम सभी ने गंगा की लहरों का सफर यादों में दोहराते हुए जी भर कर जिया......

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