Friday, May 8, 2009

लहरों से उलझता जीवन -1


गंगा के जल से पवित्र होता ऋषिकेश मुझे अति प्रिय है । सूकून और शान्ति प्रदान करता हुआ। २ अप्रैल को एक बार फ़िर मन हुआ गंगा की लहरों से उलझा जाय। फिर रवाना हुए ऋषिकेश की ओर । वैसे तो वहां जाने का ये मेरा तीसरा अनुभव था। लेकिन उत्त्साह व रोमांच वही पहली बार वाला।

३ अप्रैल सुबह दस बजे की बुकिंग थी । एक जीप हम सभी को व हमारी बोट को लेकर शिवपुरी नामक स्थान पर पहुँची । यहाँ से शुरू होता है गंगा की शान्त व तीव्र लहरों के साथ आत्मसात होने का रोमांचक सफर।

गंगा की अति तीव्र लहरों को रेपिड्स कहते हैं। ऐडमंड हिलेरी ने अपनी रेफ्टिंग यात्रा के दौरान इनके आकार की वजह से इन तीव्र लहरों को अलग अलग नाम दिए थे। जैसे गोल्फ कोर्स , रोलर कोस्टर आदि ।

गाइड सूरज ने हम सभी को सेफ्टी जैकेट्स व हेलमेट दिए पहनने को दिए। और साथ में बताए बहुत सारे डू एंड डोंट्स  ....कब,कहाँ तेज करना है कहाँ पर रोकना है वगैरह, और सबसे खतरनाक बात कही कि यदि बोट पलट जाए तो सभी ने अपने आप को व दूसरों को कैसे बचाना है ।

बोट में हवा भर कर उसे भली भॉति चेक किया गया। फिर सभी की जैकेट्स कसी व हेल्मट पहनने को कहा । एक -एक करके सभी बोट मे सवार हुए। साथ मे मिले दो गाइड। हाथ मे पतवार थामे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बहुत बड़े मुकाम पर जा रहे हों ...

गंगा का शाँत ,स्वच्छ पानी मन को आलौकिक शीतलता प्रदान कर रहा था ।मैं सोचने लगी -

" कैसे इतनी विशाल गंगा को शिवजी ने अपनी जटा में धारण किया होगा ..."

तभी गाइड की तेज आवाज पर चौंकी।

" पहला बड़ा रेपिड आने वाला है सभी तैयार रहें व आदेश ध्यान से सुने "

थोड़ी घबराहट व रोमांच हो आया, पतवार पर हाथ कस गए .. इशारे पर सामने देखा तो रोंगटे खड़े हो गए । दहाड़ती हुई सी पूरे वेग के साथ हहराती हुई गंगा काफी ऊपर उठ कर एक विशालकाय लहर के रूप में थी । मुझे तो लगा बस इतना ही जीवन शेष था शायद......वैसे तो ऐसा हर बार लगता है इन रेपिड्स में प्रवेश करते ही। लेकिन उनसे टकराते ही उमंग व जोश दुगुना हो जाता था और साहस बढ़ जाता था। साथ ही बढता है चुनौतियों से लड़ते हुए जिंदा रहने की जिजीविषा भी ।



रेपिड्स के बीच से गुजरते हैं सारा पानी तीव्र गति से आकर हमें पूरी तरह भिगा देता है। लगता है जैसे सागर के बीच कहीं समां गए हों १ - २ मिनट का अद्भुत अनुभव होता है। शानदार जीवन भर ना भुला पाने वाला।

गाइड के आदेश फॉरवर्ड पर ...तेजी से पतवार चलाते ,चिल्लाते , हँसते ,रोमांचित व उत्साहित होते रेपिड के बीच में प्रवेश कर जातें हैं .....

शेष जल्दी ही.....

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