बार्बरा कार्टलैंड से दसवीं कक्षा के इम्तिहान देने के बाद, छुट्टियों में 'मिल्स एंड बून' पढ़ते हुए रूबरू हुई। एम बी में लिखने वाले बहुत लेखक हैं। उनमें बार्बरा कार्टलैंड द्वारा लिखित उपन्यास मुझे बेहद पसंद थे। वे कमाल की रुमानियत परोस देतीं हैं। आंखों के आगे बेइंतहा खूबसूरत रोमांस चलचित्र सा घूमने लगता है।
उन्हीं दिनों ज़हन में यह भाव उत्पन्न हुआ कि बार्बरा के नायक की तरह एक प्रेमी होना चहिए -टॉल, डार्क एंड हैंडसम। हम लड़कियों ने हसीं सपने उन्हीं दिनों देखने शुरू किए थे। यदि बार्बरा नहीं मिलती तो हम जैसों का क्या बनता? विज्ञान की प्रयोगशाला में केंचुए, मेढक चीरते, वनस्पतियां बीनते और रासायनिक समीकरणों को सुलझाने में, रूखे -सूखे बने रहते हुए जीवन ख़ाक कर देते। रोमांस के उन खूबसूरत पलों ने हमें कुछ जीवित रख छोड़ा था।
रोमांस की अद्भुत दुनिया रचने वाली बार्बरा 9 जुलाई 1901 में इंग्लैंड में पैदा हुईं। कई लोगों को प्रेम का पाठ पढ़ा कर 21 मई 2000 में अपनी निराली साज -सज्जा के साथ इस संसार से विदा हो गई। यूँ उनका मानना था कि मृत्यु जैसा कुछ नहीं होता। एक जीवन शक्ति, शरीर से बाहर निकल जाती है और शीघ्र ही उसे नया शरीर मिल जाता है।
वे बोलतीं थीं, उनकी सेक्रेटरी टाइप करती थी। उन्होंने 23 पुस्तकें एक वर्ष में लिख कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। उनके पुत्र इयान मकोरकिडेल बताते हैं कि - "साल भर में उनके प्रसंशकों के करीब दस हज़ार पत्र आते थे। उन्हें पढ़ने के लिए एक अलग सेक्रेटरी थी। बार्बरा ने केवल एक उपन्यास लिखा जो सुखांत रोमांस के इतर, दुखांत था। उनके प्रसंशक इस बात से बेहद कुद्ध हो गए। टेलीग्राम, पत्र, फ़ोन कॉल आदि सब जगह से बार्बरा को उनके क्रोध का सामना करना पड़ा। वह जैसे कोई हादसा हुआ था। जब वह पुस्तक री प्रिंट हुई तब उसका अंत सुखद व रूमानी कर दिया गया।"
उनका कहना था -"बुजुर्ग व्यक्तियों को कुछ न कुछ करते रहना चाहिए अन्यथा वे बोर होकर जल्दी मर जातें हैं। और कहा -इंसानों का सुंदर होना कोई जरूरी नहीं। प्रेम में सभी सुंदर हो जातें हैं। प्रेम उनके चेहरे पर रौनकें ला देता है।
उम्र भर उन्होंने सौंदर्य प्रसाधनों का बखूबी उपयोग किया। वे खूब आभूषण पहनती थीं। उनके लिबास अक्सर गुलाबी और चमकीले होते थे। उनका मानना था - "औरतों को खूबसूरत परिधान पहनने चाहिए और औरत जैसा दिखना चाहिए। वे पुरुष बनने की कोशिश भला क्यूँ करें।" एक भरा -पूरा 98 वर्ष का जीवन जी कर वे संसार से विदा हुईं। अपने पीछे छोड़ गईं करीब 600 प्रकाशित एवं 160 अप्रकाशित उपन्यासों की रूमानी दुनिया और ढेर सारा रोमांस।
उनकी माता ने उनसे कहा था। "तुमने संसार में कुछ करने के लिए जन्म लिया है। तुम्हें दुनिया को वह देना चाहिए।'
बार्बरा ने हमसे कहा -"हमें लोगों को वह देना चाहिए, जिससे वे संसार को खूबसूरत बनाने में मदद कर सकें। प्रेम संसार को अद्भुत, आलौकिक बना देता है।"