Thursday, April 12, 2018

उदयपुर से प्रकाशित, त्रैमासिक पत्रिका - अभिनव सम्बोधन ( जनवरी -मार्च २०१८ ) में प्रकाशित मेरी कहानी - 'धुंध भरे रास्ते'

सम्पादक - क़मर मेवाड़ी जी 
मेवाड़ी जी उन चंद आदरणीय सम्पादकों में हैं जो कहानी देख कर निर्णय लेते हैं न कि कहानी भेजने वाले के परिचय के आधार पर। अक्टूबर २०१५ - जनवरी २०१६ की सम्बोधन पत्रिका का जब स्वर्ण जयन्ती वर्ष पर प्रकाशित -प्रेम कथा अंक आया था। तब मैंने फेस बुक पर लगी पोस्ट के आधार पर उन्हें अपनी एक प्रेम कथा 'सरल समर्पण' यूँ ही भेज दी थी। अद्भुत आश्चर्य तब हुआ जब उनका सिर्फ एक वाक्य कहता हुआ फोन आया। " बहुत शानदार कहानी है। संग्रह में ले रहा हूँ। लिखती रहें।" कहानी उन्हें बेहद पसंद आयी थी। उस वक्त मैं ढेरों आश्चर्य से भर गई थी। सोचा इतने वरिष्ठ साहित्यकार, इतनी ईमानदारी और इतनी विनम्रता। उस कहानी के बाबत मेरे पास खूब मेल, टेक्स्ट और फ़ोन भी आए थे। आज विरले ही हैं जो किसी को सराहते हैं और उनके आगे बढ़ने पर प्रसन्न होते हैं? साहित्य की दुनिया में यदि आदरणीय क़मर मेवाड़ी जी जैसे अग्रज हों तो नवोदयों का मार्ग प्रशस्त होता रहेगा, हौसला बना रहेगा और कलम चलती रहेगी। मेवाड़ी जी आपको मेरा नमन। 



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