"तुमने समन्दर में चाबी फैंकी है, मुझे ताला तोड़ना नहीं आता
ताला खोलना अवश्य आता है, उसी चाबी से, जो तुमने समन्दर में फैंकी है।"
बहुत कुछ पा लेने के बाद भी कभी दिल का कोई कोना जब अकेला महसूस करने लगे तब कवि ह्रदय की पुकार .
"मैंने, जीवन को और जीवन ने मुझे दिया तो बहुत कुछ है
ये अलग बात है कि उदास रहने की आदत सी पड़ गई है।"
लाजवाब पंक्तियाँ .
"मेरा ह्रदय सूना तो नहीं, कितनी कवितायेँ खेल गईं, कितने गीत पल गए,
कितनी कहानियां दुलार पा गईं, फिर मैं व्यर्थ ही क्यों कहतीं हूँ कि ह्रदय सूना है।"
मुट्ठी भर स्वतंत्रता की चाह में समाज की दकियानूसी और तंग सोच पर कवयित्री का प्रहार।
"आकाश को उन्मुक्त हँसते देखा, मैंने भी उन्मुक्त ठहाका लगा दिया
इस तरह हँसते शर्म नहीं आती, कह कर तमाचा जड़ दिया गया और ताला लगा दिया गया
आकाश पर तमाचा नहीं जड़ा जाता, आकाश को ताला नहीं लगाया जा सकता। "
वासंती बयार के आने पर प्रफुल्लित मन लिए वे गए उठीं।
"वसंत अच्छा हुआ तुम आ गए, सोई कविता जग गई, तुम्हारा आना सुखकर है वसंत
भावनाएं प्रस्फुरित हो जातीं हैं, अवगुंठित कविता, कामिनी बन जाती है।"
स्वार्थी और दूसरों का अहित सोचने, करने वालों पर उनका एक मारक तंज।
"थाली में सुराख करके, जो दूसरों को दे दोगे, तो क्या वह तुम्हारे हिस्से न आएगी !
कभी कोई चोर, सब बर्तन चुरा ले जाएगा और टूटी हुयी थाली बस छोड़ जाएगा
तब उसी को जोड़ कर, काम में लाना पड़ेगा। "
कवयित्री के मासूम मन की एक झलक।
"भय लगे तो क्षमा मांगो, क्रोध आए तो क्षमा मांगो
क्षमा ही करो और क्षमा ही मांगो, क्षमा ही शायद मुक्ति का द्वार है।"
इसी तरह न जाने कितनी ही खूबसूरत कविताओं से सराबोर यह काव्य संग्रह अद्भुत और संग्रह करने योग्य पुस्तक है।