Friday, January 19, 2018

काफ्का के संस्मरण ( conversation with Kafka )


संवाद प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक ' काफ्का के संस्मरण ' गुस्ताव जैनुक द्वारा लिखित ( उनके काफ्का के साथ व्यतीत किये हुए पल )  एवं बल्लभ सिद्दार्थ द्वारा अनुवादित एक शानदार पुस्तक है। यह बीसवीं सदी के महान लेखक फ्रांज़ काफ्का के अंतर्जगत को उजागर करने वाली एक चर्चित पुस्तक है। उनके व्यक्तित्व की गहराई का बोध कराते कुछ कथन :

"मैं हर समय अपनी क़ैद अपने अंदर लिए रहता हूँ।" 

"जीवन में हर चीज़ का ख़ास मतलब और मक़सद होता है, जिनके कोई विकल्प नहीं हो सकते। उदाहरण के लिए कोई दूसरे के माध्यम से अपने अनुभव को नही समझ सकता।"

"मौन में बहुत शक्ति होती है। आक्रामकता एक मुखौटा है, जिसके पीछे मनुष्य अपनी कमज़ोरियों को, अपने से और संसार से छिपा कर चलता है। असली और स्थाई शक्ति सहनशीलता में है। त्वरित या कठोर प्रतिक्रिया सिर्फ कमज़ोर करते हैं। और इससे वे अपना मनुष्यत्व गंवा देते हैं।"

"मनुष्य को अपनी हर परिस्थति को स्वीकृति देनी चाहिए। उसे आत्मसात कर अपने अंदर उगने देना चहिए। भय के अवरोधों को सिर्फ प्रेम के सहारे लांघा जा सकता है।" 

"मैंने हर संभावना को स्वीकृति दे दी है। ऐसी हालत में यातना एक आनंद हो जाती है। और मृत्यु, जीवन की मधुरता का एक कारक।" यह क्षय रोग से ग्रस्त होकर मात्र चालीस वर्ष की उम्र में जीवन से दूर जाते हुए काफ्का का कहना था। संक्षेप में यह काफ्का के जीवन -दर्शन की संक्षिप्त और बार -बार पढ़ी जाने योग्य पुस्तक है।   


Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...