Thursday, March 2, 2017

ज़िन्दगी कैसी है पहेली - 'रिल्के के प्रतिनिधि पत्र'



'रिल्के के प्रतिनिधि पत्र' पढ़ते हुए अद्भुत आनंद में हूँ।  सोच रही हूँ - पहले मित्रों को, जानकारों को, स्नेहिल लोगों को, शुभचिंतकों को पत्र लिखते थे। उन्हें संजोते थे, उनकी खुशबू से मदमाते थे, उन्हें बार -बार पढ़ते हुए भाव विह्वल होते थे। उन पत्रों से विशेष लगाव होता था। 

अब आजकल पत्र कौन लिखता है ? फिर ? कल कैसा होगा ? यादों के खजाने में क्या कीमती होगा ? 

जीवन तुम क्या -क्या रंग दिखाओगे ? कहाँ ले जाओगे ? कहीं कोई ठहराव होगा क्या ? या रब सब तरफ सुकून बरसा !!


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