कितना वक्त बीत गया
बाहर की दुनिया में दौड़ते हुए
भीतर की तरफ यात्रा करनी है
अब कहीं तो पहुंचना है
एक कश्मकश है, छटपटाहट है
कुछ है भीतर, बहुत कुछ है
जो आतुर है सिमटने को
कभी बिखरने को
जीवन का उत्साह है
जानने की उत्सुकता है
अपनों का स्नेह है, प्रेमी का प्रेम है
मिलन की खुशी है, बिछोह का दर्द है
क्या है कुछ खबर नहीं
कभी ढल जाएंगे ये अहसास
यादों की नमी लिए
महकते शब्द बनकर
कोरे कागज़ पर
तब कह देंगे हम दुनिया वालों से
समझो अपने भीतर के अहसासों को
जो हर रूप में होते हैं
सुंदर, खूबसूरत और बेमिसाल