मेरा छोटा सा भतीजा अभी कक्षा एक में है। इतना प्यारा है कि लोग उस
पर दिल खोल कर लाड़ की बौछार करे बगैर रह नहीं पाते। जब से वो इस कक्षा में
आया है एक तो वो बहुत बड़ा हो गया गया है और दूसरा स्कूल से बहुत ही दुखी।
उससे " बेबी आज डायरी ठीक से नोट किया करो ओके।" या फिर कुछ और
कहो तो झट प्रतिक्रिया आती है।
" I am a grown up maaaan. baby नहीं हूँ मैं " प्लीज़ बुआजी।
चलो माना। अब स्कूल से दुखी होने के कारण भी अजीब है। उसका कहना है।
"मैडम लोग सब बुद्धू हो गएं हैं। सारा होम वर्क रोज मुझे
ही दे देते हैं। सब मैं ही करूँ क्या ? मैं बिलकुल भी खेलूं नहीं ?"
"इनू कोई नाटक नहीं, होमवर्क सब बच्चों को मिलता है,
केवल तुम्हें ही नहीं। "
"अब आप भी बुद्धू हो गए हो। अरेsss मैं कह रहा हूँ। एक बच्चे
को हिंदी का दे दो , एक बच्चे को इंग्लिश दे दो , फिर ड्राइंग का फिर मैथ्स
का.....ऐसा। जिसको जो आता है वो वैसा वाला होमवर्क तो करेगा। फिर नहीं आता है
तो मम्मा भी मारतीं हैं और मैडम भी।"
हाल ये है कि छोटे मियां को आता-जाता कुछ
नहीं है। स्केटिंग के चैम्पियन हैं। स्कूल में डोरेमॉन के नाम से मशहूर हैं
और पूरा ध्यान सिर्फ खेलों और शैतानियों में है। शैतानियां इतनी कि अभिवावकों
का हर पैरेंट्स मीट में शिकायतें सुनने जाना ही महत्वपूर्ण काम रह गया है।
" स्कूल तो जाना ही होगा और होमवर्क भी करना ही पडेगा।
अब?"
"मैं तोड़ दुंगा सारे स्कूल को।" उसे सारे दुखड़े याद हो आए
तो भड़क कर बोला।
"इतने बड़े स्कूल को कैसे तोड़ दोगे भाई ?"
"बम से उड़ा दुंगा।" अनजाने में भी उसका ठाकुर रक्त उबाल
खा गया।
"बम कहाँ से लाओगे ?"
"वो मिलतें हैं ना बज़ार में, जिसको पापा दिवाली में मत चलाओ
कहते हैं। देखना बुआजी... उससे तोड़ दुंगा मैं स्कूल को।" सोचती
हूँ दिवाली के बम दिवाली में जलाने देने में ही भलाई है।
"इनू बड़े होकर क्या बनोगे ?"
"अटेनबैड।" दो वर्ष पहले तक उसे बड़े होटलों के
बाहर दरवाज़े पर भाला लिए हुए खड़ा, सजा हुआ दरबान बनना था। उसके भाले
को सहलाते रहना, खाना खाने से ज्यादा सुखद होता था।
"अब ये ' अटेनबैड ' क्या बला है? ज़ुबान तो इसकी तीन वर्ष की उम्र
से ही एकदम साफ़ थी। अब क्या हुआ ?" मुझे लगा शायद अंग्रेज्जी के एक्सेंट
का मसला है। परन्तु भाई ने बताया। "दी अब इसका मतलब इससे मत ही पूछ। नालायक, आतंकवाद
कह रहा है। इसका अपना ही ट्रांसलेशन है।"
क्या पता ये attack -bad ya fir attacking is bad का
अपभ्रंश हो। बहरहाल दिल को सांत्वना देते हुए मैं सोच रही थी।
या रब ये नई पौध कहां को जा रही है ? क्या देख रही है ? क्या समझ
रही है? क्या सीख रही है ?....... हमारे मन में बस ढेर सारे अनसुलझे, डरावने, सवाल
ही सवाल हैं......