Wednesday, November 6, 2013

हम बोलेंगे तो बोलोगे कि


मेरा मानना है इंसान जिस फितरत का होता है वो हर जगह अपने साथ वही ले जाता है। जैसे एक चुस्त, विनम्र और सफल नेतृत्व कर सकने वाले हेड के ऑफिस का डिकोरम अलग होता है और एक आलसी, अहंकारी और अव्यवस्थित बॉस के ऑफिस का अलग। 

मैं किसी पार्टी विशेष की नहीं हूँ। इसलिए मैंने कभी किसी पार्टी को वोट नहीं दिया। मैं वोट देती हूँ व्यक्ति को।

मोदी को देख-सुनकर आनंद आता है। हाँ वो कभी-कभी थोड़ा गड़बड़ कर देते हैं। जब वो चक्र, धनुष लेकर या मुकुट पहन लेते हैं तो स्थिती थोड़ा मजेदार नहीं रह जाती। वैसे उनका बिना ज्यादा इधर-उधर ध्यान देते हुए और छोटी-छोटी बातों से बिना विचलित होते हुए आगे बढ़ते चले जाना मुझे पसंद है। 

जैसा की किसी धार्मिक फ़िल्म या सीरियल में होता है कि राम एक तीर चलातें हैं और फिर उस एक तीर मैं से हज़ारों तीर निकल जातें हैं। प्रतिद्वंदी हैरान-परेशान उस प्रहार से अपने आप को बचाने के लिए उसकी काट का अस्त्र ढूंढने लगता है।

बस मोदी के साथ भी वही स्थिती है। सब प्रतिद्वंदी अपना कार्य भूल कर सिर्फ मोदी को सुनते हैं और फिर उनके प्रहारों का क्या जवाब देना तय करते हैं।

अरे अपना कोई नया हथियार आजमाओं, कुछ नया और सशक्त कर दिखाओ। लकीर से बड़ी लकीर खींच देने की कोशिश मात्र से ही तो मकसद हल नहीं हो जाता न भाई। 

बहरहाल दूसरा मुद्दा है कि कुछ नेताओं के बारे में मैंने आज तक नहीं देखा -पढ़ा कि उन्होंने देश हित के लिए शानदार काम किए हो। हर दिन सभी माध्यमों से केवल यही देखा-सुना -पढ़ा जाता है कि उन्होंने कहा है -लोग कितने गलत है। उनके अनुसार सारा देश गलत लोगों से भरा पड़ा है।

उन्हें तनख्वाह केवल इसी बात की मिलती है कि उन्हें मजबूत लोगों के बारे में नकारात्मक टिप्पणी करना और उनका मखौल बनाना है। जिस दिन किसी के लिए कुछ आड़ा -टेड़ा नहीं बोल पाते तो रात को जब वो अपने बिस्तर में रिटायर होते होंगे तो अपने आप को कोसते होंगे आज का दिन व्यर्थ गया। आज कुछ भी रचनात्मक कार्य नहीं कर पाए। 

बने रहो ऐसे कहने वालो और बने रहो उनके शब्दों को विस्तार देने वालों। 

वैसे ये भी कमाल का गुण है, जो हर किसी के बस का नहीं....... हम और तुम तो ऐसा बिलकुल नहीं कर सकते न........  तो बस बात ख़त्म....... 
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