आजकल एक चर्चा है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव गाँव के बाबा शोभन सरकार के सपने में १८५७ में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में शहीद हुए राजा राम बक्श सिंह आए। उन्होंने बाबाजी को बताया- कि उनके किले में दस फीट की गहराई में एक हज़ार टन सोने का खज़ाना दबा हुआ है। उस समय राजा ने अंग्रेजों के हाथ से बचाते हुए इसे यहाँ दबा दिया था। अब कमाल की बात ये है कि बहुत मशक्कत के बाद बाबा शोभन ने उन आला अफसरों को मना लिया है जो उन के सपने पर विश्वास कर रहे हैं। पुरातत्व विभाग की एक टीम अब १८ अक्तूबर से वहाँ खुदाई का काम शुरू करने जा रही है।
पहले किस्से-कहानियों में इस तरह की कई बातें हैं। परन्तु अब इस सपने की सच्चाई की परीक्षा है। यदि कुछ सही में मिल जाता है तब तो कहने ही क्या। और यदि नहीं भी मिला तो भी कोई बात नहीं इस बहाने किले का कुछ पुनर्निर्माण हो जाएगा। राजा जी के जाने के बाद हमें भी पता है पुरातत्व वालों ने उसकी उपेक्षा ही की होगी जैसा की अमूमन होता हैं।
आज तक तो देखा-पढ़ा था कि खुली आँखों से सपने देखने चाहिए वो भी बड़े-बड़े। जितने बड़े सपने देखोगे उतने बड़े व्यक्ति बनोगे। हम सभी कितने प्यारे- सुनहरे सपने देखते रहते हैं। कुछ पूरे हो भी जाते हैं कुछ नहीं भी होते हैं। परन्तु कोई गिला नहीं 'ज़िंदगी की यही रीत है.…….
बंद आँखों के देखे हुए सपने अदभुत होते हैं। बचपन में जब कोई सपना देखते थे तो सुबह उठते ही उस सपने का अर्थ जानने माँ के पास दौड़ जाते थे। माँ हर बार खूबसूरत सा उत्तर थमा देती और हम बहल जाते थे फिर इंतज़ार करते कब वो बात सही साबित होगी। मुझे तो आज भी बंद आँखों के कितने ही सुहाने सपने दिखते हैं। हज़ारों बार तो मैं हमेशा के लिए जंगल में बस जाती हूँ, कभी बर्फीले कैलाश में। और उतनी ही बार एवेरेस्ट में चढ़ जाती हूँ। कब ये सब सच होगा इस उम्मीद में उम्र तमाम हुई जाती है।
अब यदि शोभन बाबा जी का बंद आँखों वाला सपना पूरा हुआ न तो औघड़ शिव फिर मेरी बारी है.…। फिर मैं सिग्मंड फ्रायेड की ' The Interpretation of dream' भी जरूर पढूंगी। वादा रहा ………