Sunday, September 8, 2013

बहुत दिया देने वाले ने तुझको


मेरी सुबह कभी उदास नहीं होती 
मैं देती हूँ दाना चिड़ियों को 
करती हूँ बातें उनसे  
सहलाती हूँ फूलों को और 
सुनती हूँ संगीत हवा का 

मेरी शामें भी उदास नहीं होतीं 
मैं करती हूँ याद 
उन सभी अवसरों को 
जो देते हैं मुझे 
आँचल भर खुशियाँ 
ठहराव मेरे विचारों को 
मुस्कान मेरे होंठों को 
शब्द मेरे जज्बातों को और 
वजह मेरी अभिव्यक्तियों को 

यादों तुम महकते रहना  
मेरी ज़िंदगी में हमेशा
रजनीगंधा की सुगंधि लिए और 
मैं लिखती रहूंगी तुमको 
ताउम्र इसी तरह