उस दिन कुछ विशेष करने को था नहीं, सुबह से ही अजीब सी उदासी घेरे हुए थी। शनिवार वैसे भी विदेशों में बड़ा सुस्त दिन होता है। चाय समाप्त करके ओर सेंडविच हाथ में लिए ही अपने अपार्टमेंट से नीचे उतर आई थी। अपनी बोरियत दूर करने के लिए मुझे दूर तक चलते रहना और रास्ते भर कुकम्बर और चीज़ सेंडविच कुतरते रहना अच्छा टाइम पास लगता है।
हर मूड के लिए मेरी कुछ ख़ास जगह बन जाती हैं ओर उन जगहों की पुनरावृत्ती मुझे उस मूड से काफी हद तक उबार भी लेती है। कुछ देर बाद मैं हरी घास और रंग-बिरंगे फूलों से सजी लेक के किनारे लगी बेंच पर बैठ गई थी। लेक में बतखें पूरी स्वछंदता से तैर रही थीं।
पार्क में छोटे-छोटे गुलाबी सफ़ेद प्यारे से बच्चे भी खेल रहें थे। मज़ाक में एक दिन किसी हिन्दुस्तानी मित्र से मैंने कहा। "ये अंग्रेज बच्चे इतने साफ़ सुथरे और प्यारे से कैसे होते हैं?" वो भी शरारत से आँख दबाता हुआ बोला "उनकी मम्मियां भी तो वैसी ही होती हैं"
मुझे इन गोलू से, डाइपर से उठे हुए हिस्से को मटकाते हुए, बतख की तरह चलते, लुढ़कते, उठते बच्चे, बड़े प्यारे लगते थे। उनके पास जाकर उनसे बातें करती, सहलाती, पुचकारती हूँ, तब वो खिलखिलाते, मचलते, खुशी से किलकारियां भरते मुझे और अपने आप को पार्क की रेत से नहला देते थे। बीच-बीच में पानी पर तैरते जहाज़ होर्न बजाते शोर करते साइड में खड़े मुसाफिरों को लेने आ जाते थे और उसमें सवार लोग हम जैसे तट में बैठे लोगों को हाथ हिलाते, मुस्कुराते आगे बढ़ जाते थे।
मन तब भी नहीं बहल पाया तो वापस घूम कर हौलीहौक की सुर्ख लाल फूलों से लदी डाली के नीचे हरी घास पर आकर बैठ गई। जुलाई के महिने में भी स्विट्ज़रलैंड के लुसेर्न की बर्फीली ठंडी हवा में मुझे सूरज की तापिश महसूस नहीं हुई और कुछ देर बाद अचानक ही बारिश की फुहारें भी शुरू हो गयीं। उसी तरह भीगते हुए मैं अपनी सोचों को आकाश की ऊंचाई तक पहुंचा देती हूँ। तभी कंधे पर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस होता है।
"What the hell..... तुम यहाँ पर क्या कर रही हो?" वो मेरे सर के ऊपर छाता करता हुआ बोला।
"बैठी हूँ...... सोच रही हूँ आज इस पेड़ की सारी पत्तियां गिन दूँ कैसा रहेगा?" मैं मुस्कुराकर कहती हूँ।
"इसे बैठना नहीं कहते, अपने आप को सब से दूर रख कर छुपना कहते हैं, you mad girl.... सब तुम्हारा उधर सेटरडे गेदरिंग में इंतज़ार कर रहे होंगे और एक तुम हो। "
"एलेक्स तुम जानते हो ना मुझे पार्टी और भीड़ में रहना अच्छा नहीं लगता। "
एलेक्स अच्छी कद-काठी का, हमेशा हरी -वरी में रहने वाला, थोड़ा बडबोला, हाजिर जवाब, जल्दी गुस्सा करने वाला मगर बहुत ही कैरिंग इंसान था। वैसे वो मुझे कोई खास पसंद नहीं करता था क्योंकि मैं उसकी कभी कोई बात जो नहीं मानती थी।
"यु सिली गर्ल, कल तुमने वादा किया था तुम वहाँ आओगी। "
"अब अंकल सेन्द्रो और एमिला आंटी के सामने क्या कहती? उन सभी से कई बार मिल चुकी हूँ ना। तुम जानते हो न एलेक्स अक्सर काफी, वाईन, बीयर, सिगरेट, केक, सुगन्धित मोमबत्तियां आदि की मिलीजुली महक से मेरा सर चकरा जाता है। "
"नो वे..... अभी चलो मेरे साथ। " मेरा हाथ पकड़ कर वह मुझे लगभग खींचता सा है।
"देखो एलेक्स तुम पहुँचो.....मैं झटपट कुछ फोटो क्लिक कर के ३० मिनट में पहुँचती हूँ हम्मम्। " परन्तु मैं उसे बहलाने की कोशिश में कामयाब नहीं हो पाती हूँ।
"कैसा रहेगा, इफ आई विल हिट ओन यौर हेड? तुम सीधी बात करना तो जानती ही नहीं हो। वाई डोंट यु बिहेव लाइक एन ओर्डीनेरी गर्ल?"
मेरे ज़ोर से हंस देने पर वो और भी गुस्से में आ जाता है। मैं जल्दी से अपना बैग उठाती हूँ। मुझे ओल्ड टाउन जाना था। मित्रों के लिए कुछ सोविनियर और गिफ्ट्स खरीदने थे।
वो मेरा हाथ पकड़ कर मायूस होकर कहता है -" सो कल वापस इंडिया जा रही हो?"
"..........."
"मिस करोगी मुझे?" वह प्रश्नवाचक दृष्टि से मुझे देखता है।
"कह नहीं सकती, कुछ काम होगा तो कहूंगी।" मैं हंस देती हूँ। मित्र लोग कहते हैं वो गज़ब का फ्रेंड इन नीड है....... और मैं... बहुत जरुरत होने पर भी किसी से मदद लेना मुझे बेहद संकोच से भर देता है।
" फ़ोन करोगी ?"
"नहीं.....मेरा कितना बड़ा बिल आ जाएगा। " फिर से उसे छेड़ती हूँ। मुझे मेरे आड़े-टेड़े जवाबों से मायूस हो जाते लोगों पर बहुत दया आ जाती है, और ढेर सारा प्यार भी......इतने संजीदा होने से भला दुनिया चलती है क्या?
"अगर मैं फोन करूँ तो पिक तो करोगी ना?" वो अपनी ही रौ में आगे बोलता है।
"बहुत ज्यादा चांसेस हैं ना उठाऊं, रोज- रोज क्या बात करेंगे हम?" वो मेरे थोड़ा और करीब आ जाता है। अब उसका मस्क डीओ तेजी से महकने लगता है।
"तुम्हे अपने आप को ठगना बहुत अच्छा लगता है ना? पता नहीं किस झूठे भरम में जीती हो। इससे ज़िंदगी आसान लगने लगती होगी, है ना?"
"..............."
"कभी फुर्सत में उन लोगों के बारे में सोचना जो तुम्हे प्यार करते हैं। तुम्हारे हर दुःख-सुख में तुम्हारे साथ बने रहना चाहते हैं, और तुम्हारी केयर करना पसंद करते हैं......इतना तो कर पाओगी ?"
"हाँ ये ठीक रहेगा एलेक्स, ये मैं जरुर करूंगी, वादा। " भावुकता को अच्छी तरह सँभालते हुए थोड़ा बेफिक्री से कह देती हूँ। वो जल से भरे बादल की तरह मुझे देखता है और पार्टी में आने की याद दिलाता हुआ चला जाता है। मैं आँखों में नमी को महसूस करती हूँ। क्योंकि जानती हूँ कुछ घंटों के बाद मुझे इंडिया वापस चले आना था और उससे ये ज़िंदगी की आखिरी मुलाकात साबित होगी। दो दिन बाद उसे भी हमेशा के लिए बड़ी जिम्मेदारी सँभालने न्यूयोर्क चले जाना था। उसके बाद एक बेहद साफ़ दिल का कैरिंग इंसान केवल एक याद बनकर रह जायेगा........जानती हूँ मैं।
इंडिया में लैंड करते ही सबसे पहला फ़ोन उसी का आ जाता है......जिसे मैं चाह कर भी नहीं उठाती हूँ। वो मेरी भीगी आवाज़ को झट पहचान जो लेता है। फिर शोर करता हुआ एस एम् एस आ जाता है।
"बने रहना हमेशा "
"रिगार्ड्स एलेक्स"