स्विटज़र लैंड यात्रा का अगला पड़ाव था ...माउन्ट रिगी,माउन्ट टिटलिस एवं सिलथ्रोन
माउन्ट रिगी को अपने अनुपम सौन्दर्य के लिए 'क्वीन ऑफ़ माऊंटेंस' भी कहा जाता है। लुसर्न से 'विलियम टेल' जल यान द्वारा जल मार्ग से वित्स्नाऊ तक जाना था। 'विलियम टेल' शानदार तरीके से सजा हुआ बहुत ही आलीशान जलयान है। उसमें बाहर बने रेस्तरां पर कॉफी के मग के साथ हम चारों तरफ का नज़ारा देखते रहे। आलीशान होटल, स्कूल, कॉलेज, इमारतें देखकर विभोर होते रहे। पानी में चमकती धूप की स्वर्णिम आभा एक सतरंगी चमक पैदा कर रही थी। और साथ में गुलाबी ठण्ड का असर, कई लोग अपने निजी जलयान में सूर्य स्नान का भी आनंद ले रहे थे। यहाँ पर साल के कई महीनो तक बर्फ रहती है, जिसपर शरदकालीन खेलों का आनंद भी लिया जा सकता है। बर्फ के सफ़ेद कालीन के ऊपर चलने का सा आनंद उठाते हम सभी उस पर दौड़ पड़ते थे, अपने पैरों के निशान बनाने के लिए। चारों तरफ मदहोशी का आलम था।
वित्स्नाऊ पहुँच कर वहाँ से ऊपर रिगी पहाड़ी पर चढ़ने के लिए लिए ' काग व्हील ट्रेन' लेनी थी। ये पहला स्थान था यूरोप में जहाँ काग व्हील ट्रेन सर्वप्रथम चली थी। खड़ी चोटी पर खाँचों पर एक दूसरे पर फंसकर पहिये आगे बढ़ते हैं। उस समय खिड़की से बाहर देखने पर रास्ते में आते घर और पेड़ सब टेढ़े दिख रहे थे। जैसे- जैसे हम ऊपर चढ़ते जाते बर्फ के देश में बढ़ते जाते। रिगी की चोटी पर पहुँच कर जब चारों तरफ देखा तो दूर- दूर तक बहुत सी साफ़ पानी की नीली झीलें और आल्प्स पहाड़ियों का मनोरम फैलाव था। यहाँ पर बहुत से शरदकालीन खेलों का भी आयोजन होता है।
माउन्ट टिटलिस (३२३८ मीटर )
यहाँ जाने की लिए रोटेटिंग केबल कार द्वारा ऊपर जाना था। ३६०' पर घुमती हुई गंडोला केबल कार से चारों तरफ का अद्भुत नज़ारा देखते हम लोग आनंदित होते रहे। चोटी पर पहुँच कर एक जगह से टायर ट्यूब में बैठ कर सभी लोग बर्फ पर फिसल रहे थे। थोड़ा डरते, झिझकते जब तक हम उसमें बैठकर मानसिक रूप से आगे बढ़ने के लिए तैयार होते तब तक वहाँ खड़े ओपरेटर ने हमारे ट्यूब को धक्का दे दिया। घबराहट, ख़ुशी, और रोमांच से भरी हुई कई आवाजें हवा में गूंज उठी। नीचे पहुँच कर उस ट्यूब को खुद ही खींच कर थोड़ी दूर तक ऊपर लाकर एस्केलेटर पर रखना होता है और वहाँ से वो खुद ब खुद ऊपर पहुँच जाता है। हम सभी देर तक बर्फ में गिरते पड़ते खेलते रहे।
वहाँ से थोड़ा लुफ्त हाईफ्लायर का भी लिया। पांच लोग एक फ्लायर में बैठते हैं। उसको पारदर्शी शीट द्वारा बंद कर दिया जाता है केवल पैर नीचे हवा में लटकते रहतें हैं। तारों पर होकर जब वो आगे बढ़ती हुई बीच पहाड़ियों पर आई तो थोड़ा हिम्मत करके मैंने नीचे झाँका....एक सिहरन बदन में दौड़ गयी .... अथाह हिमालय के ऊपर से गुजरने सा अहसास। प्रकृति के इस आलौकिक रूप से प्रसन्न होते, कई रोमांचक यादों को संजोते फिर हमने वापस नीचे की तरफ प्रस्थान किया।
सिलथ्रोन(२९७० मीटर) -
यहाँ पर प्ल्ज़ ग्लोरिया नाम का एक शानदार रेस्तरां बना है। इसे देखकर बहुत अचम्भा होता है कि इतनी ऊंचाई पर इसे कैसे बनाया होगा? चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ बर्फ पर जैसे इस रेस्तरां को उठाकर रख दिया गया हो। चारों तरफ शीशे से घिरा और वातानुकूलित किया हुआ, ३६०' पर मंथर गति से घूमता हुआ रेस्तरां।जिसको एक चक्कर लगाने में लगभग ५५ मिनट लगतें हैं। यहाँ पर जेम॒स बोंड की एक फिल्म की शूटिंग हुई थी तब से ये बहुत विख्यात हो गया है। आज भी उसके कुछ शो यहाँ पर दिखाए जाते हैं। अब वहाँ पर हॉलीवुड की कई फिल्मों के स्टंट फिल्माए जाते हैं। कुछ घंटे वहाँ बिताकर एवरेस्ट फतह कर लेने जैसा भाव लेकर शाम ५ बजे हमने ना चाहते हुए भी नीचे की तरफ प्रस्थान किया।
इन बर्फ पर ढकी पहाड़ियों पर रहने तक एक अलग ही रोमांच बना रहता है , जैसे अपने आप में नही हों , स्वप्नलोक सा...एक अलग ही दुनिया में विचरण करने की स्तब्धता और आनंद....शून्य से साक्षात्कार कराती वो यादें आज भी मेरे ज़हन में बखूबी अंकित हैं......