Ria Sharma (Sehar)
Passion for reading, writing and traveling .
Wednesday, February 17, 2010
वक्त ना हुआ मेरा
नींद से बैर
बचपन से रहा
नाकाम कोशिशें
और वो
चिढ़ाती हुई सी
वक्त के साथ
बहुत दूर
खिसक जाती
वो बोली
ये भागम भाग क्यों ?
काम का बोझ
कुछ हल्का कर लो
या फिर
वक्त छूट रहा हाथों से?
खिलखिलाकर
हंस दी थी
मैं उस पर
और वो मुझ पर
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