Wednesday, February 17, 2010

वक्त ना हुआ मेरा














नींद से बैर 
बचपन से रहा
नाकाम कोशिशें
और वो
चिढ़ाती हुई सी 
वक्त के साथ
बहुत दूर
खिसक जाती
वो बोली
ये भागम भाग क्यों ?
काम का बोझ
कुछ हल्का कर लो
या फिर
वक्त छूट रहा हाथों से?
खिलखिलाकर
हंस दी थी मैं उस पर
और वो मुझ पर