'आओ बनाएं पुल एक नया अपने आस पास.... अरसा गुज़र गया तुमको हमसे टूटे हुए।'
एक सीधा खरा बोलने वाले मित्र जिनकी सच्ची व इमानदार बातों को मैं बहुत महत्व देती हूँ एक दिन कहने लगे।
"अनुसरण तो मैं करना चाहता हूँ आपके ब्लॉग को पर कम से कम एक पंक्ति तो लिखें। आपके चित्र या आपके परिचय का अनुसरण नहीं करूंगा "
हाहा। बातों से पत्थर मारता हुआ वो अद्भुत दोस्त :)))
एक सीधा खरा बोलने वाले मित्र जिनकी सच्ची व इमानदार बातों को मैं बहुत महत्व देती हूँ एक दिन कहने लगे।
"अनुसरण तो मैं करना चाहता हूँ आपके ब्लॉग को पर कम से कम एक पंक्ति तो लिखें। आपके चित्र या आपके परिचय का अनुसरण नहीं करूंगा "
हाहा। बातों से पत्थर मारता हुआ वो अद्भुत दोस्त :)))
मैंने कहा -"मित्रवर भाव ,शब्द व अभिव्यक्ति की छटपटाहट तो बहुत हैं। लेकिन नहीं मिल रही है तो वो प्रथम पंक्ति . क्या लिखूं ,कहाँ से शुरू करूँ?"
"कहाँ से शुरू करूँ ये दास्ताँ / एक सिरा पकड़ती हूँ तो दूसरा फिसल जाता है "
अब दैनिक दिनचर्या से फुर्सत पाकर, या वो सिरा पकड़ में आया तो ज़ल्दी ही दूसरा पृष्ठ लिखूँगी तब तक .....