Wednesday, May 17, 2017

उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में


जब 
हम सीख लेते हैं 
कहना सुनना और शब्दों से खेलना 
हमें 
लगता है 
हमने कविता कह दी 
जब 
हम सीख लेते हैं 
हंसना कुहुकना और चहकना 
हमें 
लगता है 
हम मलंग हो गए हैं 
जब
 हम सीख लेते हैं 
सड़कों जंगलों में भटकना 
हमें लगता है हम यायावर हो गए 
जब 
हम सीख लेते हैं 
मुस्करा कर आगे बढ़ जाना 
हमें 
लगता है 
हम जीना सीख गए हैं 
हम 
होते कुछ हैं
 खुद को समझ कुछ और लेते हैं


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