Monday, November 24, 2025

फिर छिड़ी रात बात फूलों की


उस दिन सूरज की किरणों के जगाने से पहले ही नींद उचट गई। पिछली रात की बारिश से वातावरण में ठंडक समाई हुई थी। चलते चले जाने का मन हुआ दूर तक इन सर्पिलाकार सड़कों पर जो बारिश की नमी से भीगी हुई थीं। रविवार की छुट्टी वाला बेफिक्री भरा दिन। मन प्रसन्न था और सोच स्वतंत्र। ज़िंदगी कभी इतनी रहम दिल भी हो जायेगी सोचा नहीं था। बीती -बिसरि स्मृतियों को जोड़ते - तोड़ते निरुद्देश्य चलते रहने का भी अपना आनंद है।    

जीवन के इस पड़ाव में घटनाओं और अनुभवों से सराबोर ये ज़िंदगी अब और भी अच्छी लगने लगी है। भोर में चह -चह करती गौरैया बहुत दिख रही थी। मेरी बचपन की यादों का पंछी, टुकुर टुकुर ऐसे देख रही थी जैसे पहचान रही हो। फूलों और जंगली घास की मिली जुली खुशबू से महकती मैं अपनी कल्पनाओं में सुन्दर रंग भरती रही। जानती हूँ ज़िंदगी कल्पनाओं के सहारे नहीं चलती। यथार्थ से रूबरू होना पड़ता है। 

पगडंडियों पर नजर रख कर न चलते हुए, सिर उठा कर चीड़ के ऊंचे, लम्बे पेड़ों के पीछे से झांकते हुए साफ नीले आकाश को देखती हुई चल रही थी। चुपचाप नीचे देखते हुए चलने से लगता है बाहरी दुनिया से बेखबर हम पूरी तरह अपने साथ है। अपना साथ सबसे सुन्दर साथ होता है। ना हम पर ना हमारे विचारों पर...कहीं किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं।  

कुछ दूर निकल आई थी। अचानक एक बड़े से नुकीले पत्थर से टकरा गई। गिरती हुई सहारे को तलाशते हाथों में सड़क किनारे लगे पेड़ की झूलती शाखाएं आ गई। गिरने से बच गई। लगा आज सभी की मिली जुली साजिश है मुझे खुश रखने की। झींगुरों की झंकृत लयबद्ध आवाजों के साथ... टूटी हुई सोच की कड़ी फिर जुड़ गई। मैं और मेरे विचार हाथ थामे साथ चल रहे थे। जीवन की गणित मजेदार होती है। कुछ सवाल पल भर में हल हो जाते हैं और कुछ हमारे साथ ही अपनी ज़िंदगी का सफ़र तय करते हैं, निरंतर, बिना थके...

सहसा सिर के ऊपर से एक चील ज़ोर की आवाज़ करती हुई निकली और मैं सहम कर वर्तमान में वापस आ गई। देखती हूँ बिन बुलाए मेहमान की तरह कई सवालों के हल खोजते हुए बहुत दूर निकल आयी हूँ। वक्त के साथ सूरज का ताप भी बढ़ता जा रहा था। वापस घर की तरफ पलटी। फिर वही रास्ते, जीवन के अलग-अलग मोड़ों पर मिलते दुख-सुख का हिसाब- किताब करते हुए वापसी का सफर घर के मुख्य द्वार पर पहुँच कर पूरा हुआ। अतीत के अनुभव टटोलती हूँ तो लगता है भीड़ की कतई जरुरत नहीं। मुठ्ठी भर प्यारे दोस्तों के साथ एक शानदार जिंदगी जी सकते हैं। 

Friday, October 31, 2025

साहित्य अकादमी मुंबई का ग्यारहवां राष्ट्रीय कार्यक्रम 25 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में संपन्न हुआ।

'साहित्य भूषण' सम्मान से सम्मानित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आभार अकादमी अध्यक्ष -डॉ प्रमोद पांडे जी .



 

Monday, September 15, 2025

चार्ली चैपलिन की अद्भुत दुनिया - वेवे स्विट्ज़रलैंड में (जीना इसी का नाम है )

“I always like walking in the rain, so no one can see me crying.”
― Charlie Chaplin

संसार में हास्य बिखरने वाला भीतर कितना अकेला था। ब्रिटिश चार्ली चैपलिन ने अपने जीवन के अंतिम कई वर्ष स्विट्ज़रलेंड में वेवे शहर के इसी घर में व्यतीत किए। 1977 में अपनी पत्नी ओना एवं आठ बच्चों के साथ आलीशान जीवन जीकर वे इस संसार से विदा हुए। 

विश्व उनको एक शानदार अभिनेता, कॉमेडियन, डाइरेक्टर, फिल्ममेकर आदि कई रूपों में याद करता रहेगा। अति संघर्ष और गरीबी में व्यतीत हुए बचपन में मूक चलचित्र से लेकर आधुनिक फिल्मों तक का करीब 75 वर्ष के  कार्यकाल में उन्होंने कई मुकाम हासिल किए और अवार्ड्स लिए हैं। 
टिकट लेकर पहले कुछ शो देखने को मिलते हैं। जिनमे उनकी फिल्मों के दृश्य दिखाए जाते हैं। वैक्स की ऐसी सजीव मूर्तियां बनी हैं जैसे अभी बोल पड़ेंगी। (छोटा बच्चा - जैकी कूगन ) यह दृश्य उनकी मशहूर फिल्म  'The Kid'  का है। ऐसे ही बहुत से सजीव पुतलों से सुसज्जित उनकी कई फिल्मो के सेट बने हुए हैं। 

चैपलिन ने छोटे कोट, बड़ी बलून पतलून, अपने साइज से बड़े जूते, सिर पर हैट, छड़ी, पोस्ट स्टैम्प साइज मूंछे और रोचक चाल के साथ दुनिया को हंसी से सराबोर करते हुए एक कमाल की दुनिया रच कर अपना नाम इतिहास में (The little tramp ) दर्ज करा लिया। 

'द ट्रैम्प' जैसे किरदारों से उन्होंने हंसी के पीछे छिपे दर्द को सामने रखा। उनकी ज़िंदगी संघर्षों और पीड़ा से भरी रही लेकिन उन्होंने हमेशा दुनिया को हंसना मुस्कुराना सिखाया। 

“My pain may be the reason for somebody's laugh. But my laugh must never be the reason for somebody's pain.” (Charlie Chaplin)
यहां से निकल कर रास्ता उनके घर की तरफ बढ़ जाता है। प्रवेश द्वार से भीतर जाते ही उनका आदमकद, सजीव प्रतीत होता पुतला बना है। बनाने वाली की कारीगरी देखते ही बनती है। चेहरे पर उम्र और अनुभव की रेखाओं की कलाकारी अद्भुत है।

 You'll find that life is still worthwhile, if you just smile.” ( Charlie Chaplin)

शयन कक्ष जहाँ उनकी उम्र के विभिन्न पड़ाव के चित्र लगे हैं। इसी बिस्तर पर उन्होंने 88 की उम्र में अंतिम साँस ली।   
इसी अतिथि कक्ष में आइंस्टीन आदि अन्य मित्रों से वार्तालाप होता रहा। 2016 के बाद इस घर को म्यूजियम में बदल दिया गया। आज भी उनके हैट, छड़ी, जूते आदि सामान यहाँ देखने को मिल जाता है। 

भोजन कक्ष में उनका नियम था कि कमसकम रात का भोजन सब साथ करें। तब सभी को अंग्रेजी में ही बात करनी होती थी क्योंकि उन्हें फ्रेंच नहीं आती थी। 'वेवे' स्विट्ज़रलैंड के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित फ्रेंच भाषियों का शहर है। 
"You need Power, only when you want to do something harmful otherwise Love is enough to get everything done" (Charlie Chaplin)

यहीं बैठ कर परिवार के साथ फिल्मों की चर्चाएं और फिल्म बनने का सिलसिला चलता था। अपनी पत्नी ओना संग बैठे जैसे अभी कुछ सुझाव दे देंगे। करीब डेढ़ घंटे तक इस बेमिसाल दुनिया में विचरते हुए भूल जाते हैं कि हम कहां हैं। चेहरे पर मधुर हास्य लिए इन महान व्यक्ति को यादों में समेटे हम सोविनीर शॉप की तरफ बढ़ गए। याद का एक टुकड़ा संजोने के लिए। 

“Life is a play that does not allow testing. So, sing, cry, dance, laugh and live intensely, before the curtain closes and the piece ends with no applause.”
― Charlie Chaplin (Charlie Chaplin Interviews)



Saturday, September 6, 2025

Tuesday, August 5, 2025

विपाशा में प्रकाशित कहानी - उम्र की थकान

हिमाचल की साहित्य, संस्कृति एवं कला की द्वैमासिक पत्रिका 'विपाशा' में प्रकाशित कहानी - उम्र की थकान

 ( संपादक - वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शन वशिष्ठ जी )


Saturday, December 11, 2021

मेरी अनुवादित व प्रकाशित कहानियां

मराठी अनुवादिका  -   सुश्री मिनाक्षी सरदेसाई 

मूल लेखिका -   रिया शर्मा