उस दिन सूरज की किरणों के जगाने से पहले ही नींद उचट गई। पिछली रात की बारिश से वातावरण में ठंडक समाई हुई थी। चलते चले जाने का मन हुआ दूर तक इन सर्पिलाकार सड़कों पर जो बारिश की नमी से भीगी हुई थीं। रविवार की छुट्टी वाला बेफिक्री भरा दिन। मन प्रसन्न था और सोच स्वतंत्र। ज़िंदगी कभी इतनी रहम दिल भी हो जायेगी सोचा नहीं था। बीती -बिसरि स्मृतियों को जोड़ते - तोड़ते निरुद्देश्य चलते रहने का भी अपना आनंद है।
जीवन के इस पड़ाव में घटनाओं और अनुभवों से सराबोर ये ज़िंदगी अब और भी अच्छी लगने लगी है। भोर में चह -चह करती गौरैया बहुत दिख रही थी। मेरी बचपन की यादों का पंछी, टुकुर टुकुर ऐसे देख रही थी जैसे पहचान रही हो। फूलों और जंगली घास की मिली जुली खुशबू से महकती मैं अपनी कल्पनाओं में सुन्दर रंग भरती रही। जानती हूँ ज़िंदगी कल्पनाओं के सहारे नहीं चलती। यथार्थ से रूबरू होना पड़ता है।
पगडंडियों पर नजर रख कर न चलते हुए, सिर उठा कर चीड़ के ऊंचे, लम्बे पेड़ों के पीछे से झांकते हुए साफ नीले आकाश को देखती हुई चल रही थी। चुपचाप नीचे देखते हुए चलने से लगता है बाहरी दुनिया से बेखबर हम पूरी तरह अपने साथ है। अपना साथ सबसे सुन्दर साथ होता है। ना हम पर ना हमारे विचारों पर...कहीं किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं।
कुछ दूर निकल आई थी। अचानक एक बड़े से नुकीले पत्थर से टकरा गई। गिरती हुई सहारे को तलाशते हाथों में सड़क किनारे लगे पेड़ की झूलती शाखाएं आ गई। गिरने से बच गई। लगा आज सभी की मिली जुली साजिश है मुझे खुश रखने की। झींगुरों की झंकृत लयबद्ध आवाजों के साथ... टूटी हुई सोच की कड़ी फिर जुड़ गई। मैं और मेरे विचार हाथ थामे साथ चल रहे थे। जीवन की गणित मजेदार होती है। कुछ सवाल पल भर में हल हो जाते हैं और कुछ हमारे साथ ही अपनी ज़िंदगी का सफ़र तय करते हैं, निरंतर, बिना थके...
सहसा सिर के ऊपर से एक चील ज़ोर की आवाज़ करती हुई निकली और मैं सहम कर वर्तमान में वापस आ गई। देखती हूँ बिन बुलाए मेहमान की तरह कई सवालों के हल खोजते हुए बहुत दूर निकल आयी हूँ। वक्त के साथ सूरज का ताप भी बढ़ता जा रहा था। वापस घर की तरफ पलटी। फिर वही रास्ते, जीवन के अलग-अलग मोड़ों पर मिलते दुख-सुख का हिसाब- किताब करते हुए वापसी का सफर घर के मुख्य द्वार पर पहुँच कर पूरा हुआ। अतीत के अनुभव टटोलती हूँ तो लगता है भीड़ की कतई जरुरत नहीं। मुठ्ठी भर प्यारे दोस्तों के साथ एक शानदार जिंदगी जी सकते हैं।























