' ये क्या लिख भेजा ?'
' आपने क्या माँगा था?'
'यात्रा वृत्तांत के लिए कहा था।'
'हम्म '
' हम्म नहीं। यात्रा वृत्तांत भेजिए।'
' इस बार कहानी चला लीजिए।'
'बिलकुल नहीं।'
'लेकिन सभी के जीवन में हर दिन जो एक नई कहानी खुद ब खुद बन जाती है। उसका क्या। '
'बेकार बातें न करें। यात्रा वृत्तांत भेजिए ,मैं कोम्प्रोमाईज़ नहीं करता।'
'औरत करती है हरदम, कोम्प्रोमाईज़, समझौता। औरत का जीवन, बाहर -भीतर सब तरफ कोम्प्रोमाईज़।'
'फिर शुरू। वही बेढंगा राग। वही फ़लसफ़ा, हुंह। ठीक है इस बार कोम्प्रोमाईज़ करता हूँ। कहानी ठीक है। '
'हम्म...'