Wednesday, April 25, 2018

हिन्दी अकादमी की मासिक पत्रिका - इंद्रप्रस्थ भारती (मार्च 2018 ) में प्रकाशित मेरी  कहानी - मुख़्तसर सी बात

'साहित्य कोई खेल नहीं' में मैत्रेयी पुष्पा जी की कलम से निकले शब्द - अपनी ही पीड़ाओं से बंधे आज के अविश्वासी लेखन संसार में खुद को साधे रखना मामूली बात नहीं है।

 ' प्रेम अनुभूति और अहसास है। प्रेम परमानंद है तो मीठा दर्द भी है।प्रेम तो आत्मा का आत्मा से और दिल से दिल का संगम का दिव्य अहसास है.'  (डॉ जीतराम भट्ट)


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