Tuesday, November 21, 2017

मॉरीशस में हिन्दी भाषा की अलख जगाए रखने वाले, महान साहित्यकार अभिमन्यु अनत का गांव त्रियोले।

किसी भी देश की संस्कृति को समझना हो तो उसके गांव देखना बेहद जरूरी है।

  ये वर्षों पहले बिहार से आ कर बसे हुए एक ही परिवार के घर हैं। हर घर के बाहर एक मंदिर जरूर होता है। 
 प्यारे बच्चे आशिका, उसका छोटा भाई आरव और अवनीश। बच्चे हिन्दी, अंग्रेज़ी, भोजपुरी, फ्रेंच एवं क्रियोल ( मॉरीशस की भाषा )  में पारंगत। 
 खट्टा -मीठा फल , बिलैंबि 
 चंपा देवी जी, जिन्हें हिन्दी, फ्रेंच, भोजपुरी एवं क्रिओल का अच्छा ज्ञान था। जिनके नौ पुत्रों में से सात की मृत्यु की वजह वे नहीं बता सकीं। सिर्फ मायूसी उनकी आँखों में नज़र आयी। हालाँकि मॉरीशस में मेडिकल की सभी सेवाएं एकदम मुफ्त होती हैं। साथ में हैं उनके उनके पुत्र एवं वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी- डॉ. रजनी सिंह। 

  चंपा देवी जी ( सत्तर वर्ष ) का परिवार जिनके पड़ दादा गिरमिटिया मज़दूर के रूप में बिहार से यहाँ आकर बस गए थे। 
 गाय -भैंस कहीं नहीं दिखे।  सिर्फ बकरियां। 
 अवनीश विशेष आग्रह करके अपने घर ले गए। बच्चों के माता -पिता दोनों काम पर गए थे। 
 अवनीश के घर में जूस से स्वागत करते बच्चे। इस पीढ़ी तक भी संस्कार विशुद्ध भारतीय। 
अलविदा कहते मायूस बच्चे।