Monday, April 27, 2020

खुद से मिलकर बातें करना अच्छा लगता है


मुझ पर
तुम्हारी उदास शामों की
चाय उधार रही 
तुम पर
मेरी वीरान रातों की 
नींद उधार रही 
अब फैसला तुम पर छोड़तें हैं 
या हम ये उधारी चुका लें 
या बने रहें कर्ज़दार 
एक दूसरे के 
मिलते रहें यूँ ही एक दूसरे से 
शिकवे शिकायत के बहाने 
इसके सिवा दुनिया में रखा क्या है 
बातें करने के लिए  
बहाने चाहिए 
वरना 
बैठे रह जाते हैं 
हम दोनों अक्सर 
उस बहती धारा के किनारे 
और बहते रहते हैं उस के साथ 
चुपचाप खामोशी से 
एक दूसरे की 
धड़कनें 
गिनते हुए